मेडिकल कॉलेज से बदल गया शव

-मुखाग्नि से पूर्व बृजेश ने पिता का अंतिम दर्शन कराना चाहा तो निकल आई चीख -सात शवों में ही

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 12:35 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 12:35 AM (IST)
मेडिकल कॉलेज से बदल गया शव
मेडिकल कॉलेज से बदल गया शव

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : कोरोना संक्रमित सात शवों को राजकीय मेडिकल कॉलेज प्रशासन सोमवार को मैनेज नहीं कर सका। जहानागंज के प्रकाश नारायण का शव दिवंगत ओमप्रकाश के पुत्र राजेश कुमार को दे दिया गया। श्मशान घाट पहुंचा शव एंबुलेंस से पहुंचा तो बृजेश ने पिता का अंतिम दर्शन करना चाहा तो उसे चीखें निकल आई। दरअसल, शव उनके पिता के बजाए किसी दूसरे का था, जिसे कुछ देर बाद ही मुखाग्नि दी जानी थी। इधर श्मशान घाट पर दिवंगत ओमप्रकाश तो राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में प्रकाश नारायण राय के स्वजन शव बदल जाने को लेकर परेशान थे।

क्या था पूरा मामला

-शहर से सटे लक्षिरामपुर निवासी बुजुर्ग ओमप्रकाश उपाध्याय की तबीयत रविवार को खराब हुई। उनकी चेस्ट सिटी कराई गई तो सीने में संक्रमण दिखा। स्वजन पहले मंडलीय अस्पताल ले गए, जहां से उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया। रात में इलाज के दौरान ओमप्रकाश का निधन हो गया। इनके अलावा छह और लोगों की मौत हॉस्पिटल में मौत हुई। स्वजन को सुबह शव देने में लापरवाही बरती गई, जिसका नतीजा रहा कि प्रकाश नारायण का शव ओमप्रकाश के तीमारदार ले गए।

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पीड़ित की जुबानी, अनदेखी की गई

-दिवंगत ओमप्रकाश उपाध्याय के पुत्र बृजेश ने बताया कि मेरे बड़े भाई ने शव की शिनाख्त की थी। उन्होंने तो पिता जी के शव को ही पहचाना था। शव पहचानने के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया कि एंबुलेंस में बॉडी रखवा दी जाएगी। इसी समय चूक की गई और शव बदल गया। सात शव को मैनेज नहीं कर पा रहे, भगवान जाने अंदर इलाज क्या कर रहे होंगे। शवों की पहचान पुलिस की देखरेख में कराई जाती है। ओमप्रकाश उपाध्याय के स्वजन ने शव की शिनाख्त की थी, फिर चूक कैसे हो सकती है। बहरहाल, दोनों शवों को उनके स्वजनों को दे दिया गया है।'

-डॉ. दीपक पांडेय, नोडल अधिकारी।

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मेडिकल कॉलेज में मरने वालों की तादाद बढ़ी

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं सुपर फैसिलिटी हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमितों की रोजाना की मौतें हो रही हैं। पहली लहर में जब संसाधन नहीं थे, उस समय मौतों का आंकड़ा कम था। अबकी ऐसा कोई दिन नहीं होगा, जब आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत नहीं हो रही है। जबकि पहली लहर से डॉक्टर, स्वास्थकर्मियों ने सबक ली होगी। सरकार ने संसाधन भी बढ़ाए हैं, लेकिन उसके बावजूद मौतों के आंकड़ों से व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। आए दिन हो रही मौतों से लोगों में मन में कई तरह की आशंकाएं उत्पन्न होने लगी हैं। जिलाधिकारी राजेश कुमार का मानना है कि यहां गंभीर मरीजों के पहुंचने के कारण मौतें ज्यादा हो रही हैं।

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