बुराई पर अच्छाई की जीत ही विजयदशमी

जागरण टीम औरैया अधर्म पर धर्म असत्य पर सत्य और अभिमान पर मान के विजय का उत्सव विजयदशमी ह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 11:06 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 11:06 PM (IST)
बुराई पर अच्छाई की जीत ही विजयदशमी
बुराई पर अच्छाई की जीत ही विजयदशमी

जागरण टीम, औरैया: अधर्म पर धर्म, असत्य पर सत्य और अभिमान पर मान के विजय का उत्सव विजयदशमी है। यह पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया। औरैया शहर के पुराना नुमाइश मैदान में दर्शकों की भारी भीड़ के बीच रामलीला कमेटी की ओर से रावण वध लीला का मंचन हुआ। उसके बाद बुराई के प्रतीक के रूप में बनाया गया दशानन का पुतला दहन हुआ। फफूंद, कंचौसी, अजीतमल सहित अन्य ब्लाकों व तहसीलों में दशहरा पर लोगों की भीड़ रही।

शहर के मोहल्ला तिलक नगर स्थित रामलीला मैदान में कमेटी की ओर से हर साल की भांति मेला आयोजित किया गया। 45 फीट ऊंचा बने रावण का पुतला दहन देखने के लिए दोपहर से ही जनपद के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मेला में एकत्रित होने लगे। अपराह्न शुरू हुई रामलीला में रावण व कुंभकर्ण की प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केंद्र रही। टेशू और झेंजी व अन्य खिलौनों की दुकानों पर काफी भीड़ नजर आई। रामलीला के अंतिम दिन प्रभु श्रीराम व रावण के बीच युद्ध हुआ। रावण की अदृश्य शक्तियों से परेशान प्रभु श्री राम को विभीषण ने रावण के मृत्यु का तरीका बताते हुए कहा कि जब तक रावण की नाभि में वाणों से संहार नहीं होगा तब तक उसका वध कर पाना असंभव है। विभीषण की विधि के अनुसार राम व रावण के मध्य हुए अंतिम युद्ध में रावण धराशायी हो गया। रावण का वध होते ही जय श्रीराम का जयकारा दर्शकों ने लगाया। रावण का पुतला धू-धू कर जल उठा, इसके बाद लोगों ने आतिशबाजी का नजारा लिया। दशहरा मेला व पुतला दहन देखने के लिए आसपास के गांवों से हजारों की तादाद में लोग यहां पहुंचे। दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश लोगों को दिया गया। फफूंद कस्बा में आयोजित रामलीला में पहुंचे कृषि राज्य मंत्री दिबियापुर विधायक लाखन सिंह राजपूत ने राम दरबार की आरती उतारी। एरवाकटरा, दिबियापुर, बेला आदि ब्लाकों में भी दशहरा पर उत्साह देखने को मिला।

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उत्साह के साथ परंपरा निभाई

विजयादशमी पर्व पर पान का बीड़ा खरीदते लोगों की भीड़ दुकानों पर रही। अन्य दिनों की अपेक्षा रौनक कुछ अलग ही दिखी। परंपरा को निभाने के लिए लोगों ने उत्साह के साथ मीठे तंबाकू मिश्रित पान के बीड़े बनवाकर घर ले गए। दशहरा पर एक दूसरे को पान भेंट करने की परंपरा कायम रखी। उधर, क्षत्रिय महासभा की ओर से शस्त्र पूजन किया गया।

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