पंचतत्वों का शोधन व समागम का केंद्र है उमा प्रेम सत्संग आश्रम

अशोक त्रिवेदी औरैया हमारी प्रकृति पंचतत्वों भूमि जल अग्नि वायु व आकाश के संतुलन पर टिक

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 10:57 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 10:57 PM (IST)
पंचतत्वों का शोधन व समागम का केंद्र है उमा प्रेम सत्संग आश्रम
पंचतत्वों का शोधन व समागम का केंद्र है उमा प्रेम सत्संग आश्रम

अशोक त्रिवेदी, औरैया: हमारी प्रकृति पंचतत्वों भूमि, जल, अग्नि, वायु व आकाश के संतुलन पर टिकी है। प्राचीन काल से ऋषियों ने इन तत्वों के संतुलन पर अत्यधिक बल दिया था। वर्तमान भौतिकतावादी परिवेश में मनुष्य इन शिक्षाओं को विस्मृत कर इस संतुलन को बिगाड़ रहा है। जिसका घातक परिणाम हमारे सामने निरंतर आता रहता है। जहां भी इन तत्वों के संतुलन पर ध्यान दिया जाता है, वहीं पर आत्मिक शांति की अनुभूति होने लगती है। वास्तु शास्त्र में भी इन्हीं तत्वों का संतुलन स्थापित किया जाता है। फफूंद रोड स्थित उमा प्रेम सत्संग आश्रम में इसका समागम दृष्टिगोचर होता है।

आश्रम में जहां एक ओर भूमि, अग्नि, वायु एवं आकाश का समुचित संतुलन है तो वहीं इस आश्रम प्रबंधन ने जल की प्रत्येक बूंद का संरक्षण कर न केवल पर उससे पर्यावरणीय संतुलन स्थापित किया है। मनोजवम परिवार सेवा न्यास समिति ने जिस प्रकार जल की हर बूंद को व्यर्थ न बहाकर उसका प्रयोग आश्रम से जुड़ी वाटिका, गोरक्षा संरक्षण में किया है वह अपने आप में एक मिसाल है। आश्रम में विगत लगभग सात वर्षों से यह व्यवस्था चल रही है। आश्राम व गोआश्रय स्थल की साफ सफाई में प्रयुक्त जल पेड़ पौधों की परवरिश कर रहा है। गाय के गोबर व गोमूत्र से पौधों को जैविक खाद मिलती है। गायों के नहलाने व पेयजल के लिए एक कुंड स्थापित किया गया है। वाटिका में उत्पन्न पुष्प लकड़ी आदि का प्रयोग आश्रम ही किया जाता है। इस प्रकार आश्रम ने एक संतुलित एवं आत्मनिर्भर व्यवस्था बना ली है। निरंतर जल मिट्टी में अवशोषित होने से जलस्तर भी नीचे नहीं गिर रहा है।

------------ कृष्ण की लीलाओं से मिली प्रेरणा

आचार्य मनोज अवस्थी का कहना है कि उन्हें प्रेरणा भगवान कृष्ण ने पांच तत्व शोधन की लीलाओं से मिली। भगवान कृष्ण ने माटी खाई तो पृथ्वी का शोधन, दावाग्नि को पीकर अग्नि शोधन, तृणावर्त को मारकर वायु का शोधन, व्योमासुर को मारकर आकाश का शोधन किया। जब कालियानाग नाथा तो जल का शोधन कर डाला। भागवत पुराण में लेख है कि पांचों तत्व मेरे में है और वह पांचो तत्वों में। जल संरक्षण पर जोर देते हुए आचार्य ने कहा कि जल को बचाया जा सकता है पर बनाया नहीं जब यमुना का जल प्रदूषित होने लगा था तब भगवान ने स्वयं यमुना में कूद कर उसकी रक्षा की। उन्होंने अपील की कि जल व पर्यावरण संरक्षित रहेगा तभी राष्ट्र सरंक्षित हो पाएगा।

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यह हैं आश्रम की व्यवस्थाएं

उमा प्रेम सत्संग आश्रम परम पूज्य सदगुरुदेव आचार्य स्वामी भागवतानंद जी महाराज एवं पंडित प्रेम नारायण जी की सत्प्रेरणा से वर्ष 2011 में इसकी स्थापना हुई। संस्थापक कथाकार आचार्य मनोज अवस्थी जी है। आठ सौ वर्ग फुट भूखंड में एक तुलसी उपवन, साथ ही आम, बेलपत्री, केला, सहसूत, पीपल, पलास, कदंब, जामुन, अशोक आदि के परम उपयोगी वृक्ष है। करीब पांच हजार वर्ग फुट में गौशाला स्थित है। इस गौशाला संचालन सात साल से हो रहा है। गायों की सेवा उनके हरे चारे आदि की समुचित व्यवस्था आश्रम की जमीन पर ही होती है।

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