मौसम ने फिर ली करवट, धूल भरी आंधी बाद बारिश भी
जागरण संवाददाता औरैया हवा के करवट लेते ही मौसम का रुख बदला रहा है। जिसे लेकर किसा
जागरण संवाददाता, औरैया: हवा के करवट लेते ही मौसम का रुख बदला रहा है। जिसे लेकर किसान चितित हैं। कारण, खेतों में गेहूं के गट्ठर पड़े हैं। जिन्हें ज्यादातर किसानों ने अभी तक सुरक्षित नहीं किया है। बुधवार को पूरे दिन तेज धूप रही। शाम करीब साढ़े पांच बजे एकाएक हवा ने करवट ली तो धूलभरी आंधी शुरू हो गई। करीब 20 मिनट तक चली आंधी से फुटपाथ पर छप्पर डाल रहे लोगों की दुश्वारियां बढ़ी वहीं कई जगह बिजली की तार टूट जाने से आपूर्ति बाधित हुई। आंधी थमने के बाद तेज बारिश शुरू हो गई।
मौसम जानकारों के अनुसार बुधवार को दिन ढलने ही हवा का रुख एकाएक बदल गया। जिस कारण अधिकतम तापमान 39 व न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जबकि, दोपहर दो बजे तक अधिकतम तापमान 41 डिग्री पहुंच गया था। इसके अलावा न्यूनतम तापमान में भी उछाल देखने को मिला था। 25-26 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहने वाले तापमान एक डिग्री ज्यादा दर्ज 27 दर्ज किया गया था। पश्चिमी विक्षोभ की वजह से मौसम में बदलाव देखने को मिला। ऐसे में धूलभरी आंधी व बारिश का सामना लोगों को करना पड़ा। खेतों में रखे गेहूं के गट्ठे आंधी
की वजह से तहस-नहस हो गए। बिजली के तार कई जगह टूटने से आपूर्ति बाधित हुई। जिसे बमुश्किल बहाल किया जा सका। वहीं विज्ञानी डॉ. अनंत कुमार ने बताया कि हवा के करवट लेने से मौसम में बदलाव देखने को मिला। गुरुवार को भी धूलभरी आंधी का सामना लोगों को करना पड़ सकता है।
-----------
आंधी तेज होने से घर की ओर बढ़े कदम:
पूरे दिन धूप छांव का खेल जारी रहने के साथ ही शाम भरी आंधी व बारिश ने मौसम का मिजाज बदल दिया। सड़कों पर निकलने वाले लोगों के कदम घर की ओर बढ़ने लगे। गर्मी से लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि, बिगड़ते मौसम व कहीं बूंदाबांदी होने से किसान परेशान हुए। किसानों का कहना था कि अभी खेतों में गेहूं, अरहर की फसलें व भूसा पड़ा हुआ है। खेतों में पड़ी फसलों की वजह से किसानों के चेहरे पर तमाम संभावनाओं को लेकर सिलवटें पड़ गईं। कई किसानों की फसलें अभी भी खेतों में पड़ी हैं। जल्दबाजी में जिनके गेहूं घर पहुंच भी गए तो भूसा अभी उठना बाकी है। उनके सामने पशुओं के लिए चारा की समस्या खड़ी हो जाएगी। किसानों का कहना है कि बारिश की वजह से पहले ही फसलों को नुकसान हो चुका है। जो बचा है उसे समेटने में लगे हैं।