कोरोना काल में भक्ति के संग योग की साधना

जागरण संवाददाता औरैया कोविड 19 की दूसरी लहर में परिस्थतियों ऐसी ही है कि स्वयं पर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 May 2021 04:51 PM (IST) Updated:Thu, 20 May 2021 04:51 PM (IST)
कोरोना काल में भक्ति के संग योग की साधना
कोरोना काल में भक्ति के संग योग की साधना

जागरण संवाददाता, औरैया : कोविड 19 की दूसरी लहर में परिस्थतियों ऐसी ही है कि स्वयं पर गर्व करने वाला मनुष्य अपने को असहाय पा रहा है। अब उसे एक मात्र सहारा ईश्वर में दिखाई दे रहा है। हमारी प्राचीन जीवन पद्धति स्वस्थ जीवन का विकल्प दे रही है। जब चारों ओर निराशा व्याप्त है। तब मनुष्य स्वयं को ईश्वर के प्रति पुन: समर्पित करने लगा है। घरों में रहकर योग साधना से भी स्वस्थ रहने का उपाय कर रहा है। जिसे कोविड उपचार में चिकित्सक सलाह भी दे रहे हैं।

कोरोना क‌र्फ्यू के दौरान घरों में रहकर भगवान की भक्ति की ओर उन्मुख भी है। जब संसार के सहारे छूट जाते हैं तब भगवत इच्छा के प्रति स्वयं का समर्पण भाव उत्पन्न होता है। ईश्वर पर विश्वास रखते हुए जो सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है उससे इस संकट को दूर किया जा सकता है। आपदा काल में दैवीय इच्छा के प्रति नतमस्तक हो जाना मन में उठने वाले दु:ख के शमन में महत्वपूर्ण है वहीं इससे मनुष्य अवसाद में जाने से भी बच सकता है। इन स्थितियों में योग की भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका हमारे सम्मुख प्रकट हुई है। जिस योग एवं आयुर्वेद को वर्तमान पीढ़ी ने पुरातन पंथी कहकर त्याग रखा था। वही योग एवं आयुर्वेद सभी के लिए जीवन संजीवनी बनकर सामने आया है। योग एवं आयुर्वेद व्यक्ति को सदा स्वस्थ रखने के उपाय बताते हैं इन उपायों के द्वारा जहां एक और स्वस्थ व्यक्ति स्वयं को विभिन्न रोगों से बचा कर रखता है। कोविड-19 को के मरीजों में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में कपालभाति, भस्त्रिका, अनुलोम विलोम आदि प्राणायाम ने विशेष योगदान दिया है। आज लाखों लोग इन प्राणायाम के माध्यम से अपने जीवन की रक्षा करने में सफल रहे हैं। शहर के मोहल्ला ब्रह्मनगर निवासी योग शिक्षक विशाल दुबे भ्रामरी प्राणायाम और ताड़ासन कराते हुए बताते हैं कि इस योगाभ्यास से मन में शांति मिलती है। आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करती है। अगर सही से रोजाना किया जाए तो शरीर में स्फूर्ति लाता है और आलस्य को दूर करता है।

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