फिर जीवंत होगी जिले के क्रांतिकारियों की वीरगाथा

जासं औरैया प्रथम स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए जिले के रणबांकुरों की याद में देवकली मंदि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 11:36 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 11:36 PM (IST)
फिर जीवंत होगी जिले के क्रांतिकारियों की वीरगाथा
फिर जीवंत होगी जिले के क्रांतिकारियों की वीरगाथा

जासं, औरैया: प्रथम स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए जिले के रणबांकुरों की याद में देवकली मंदिर स्थित शहीद स्मारक पर उन्हें नमन कर अपने को गौरवान्वित महसूस करने का समय आ गया। शनिवार को भारत प्रेरणा मंच की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी वीरता को याद किया जाएगा।

भारत प्रेरणा मंच के महासचिव अविनाश अग्निहोत्री ने बताया कि प्रथम स्वाधीनता संग्राम में जनपद के क्रांतिकारी भरेह के कुंवर रूप सिंह, खानपुर के राम प्रसाद पाठक, चकरनगर के राजा निरंजन सिंह के नेतृत्व में 24 जून 1857 को औरैया और बेला तहसील पर मोर्चा संभालकर अंग्रेजों से मुक्त करा लिया था। लगभग छह महीने पूरा औरैया क्षेत्र विदेशी ब्रिटिश शासन से आजाद

रहा। इस समयावधि में औरैया क्षेत्र में हाकिम का कार्यभार भरेह के क्रांतिकारी कुंवर रूप सिंह ने संभाला था। इटावा जनपद के तत्कालीन कलेक्टर एओ ह्यूम ने आगरा और इटावा की सम्मिलित विशाल ब्रिटिश सेना के साथ औरैया पर दोबारा अधिकार जमाने के लिए हमला किया। देवकली मंदिर क्षेत्र में राम प्रसाद पाठक के नेतृत्व में क्रांतिकारी सेना व ब्रिटिश सेना के बीच 27 नवंबर 1857 को युद्ध प्रारंभ हुआ। क्रांतिकारी सेना तीन दिन तक औरैया की आजादी के लिए फिरंगी सेना से भयंकर युद्ध करती रही। इस बीच अंग्रेजी सेना के चार सैनिक क्रांतिकारियों के हत्थे चढ़ गए और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी। साथ ही उन्होंने बड़ी संख्या में ब्रिटिश सिपाहियों को घायल भी किया। जीत के शिखर पर पहुंची क्रांतिकारी सेना की स्थिति उस समय उलट गई, जब एओ ह्यूम ने अपनी रिजर्व सेना को लेकर पीछे से हमला बोल दिया। चारों तरफ से घिरने के बावजूद भी जिले के क्रांतिवीरों ने पीठ नहीं दिखाई। मुख्य सेना नायक राम प्रसाद पाठक अपने 17 साथियों के साथ हंसते-हंसते भारत मां की गोद में सदा के लिए सो गए। 'फ्रीडम स्ट्रगल इन यूपी' पुस्तक में संकलित एक टेलीग्राम में इटावा के तत्कालीन कलेक्टर ने अमर शहीद राम प्रसाद पाठक को रीयल लीडर आफ द फील्ड की संज्ञा देकर लिखा है। यह टेलीग्राम राम प्रसाद पाठक और उनके 17 कांतिकारी साथियों की शहादत की खबर देने के लिए आगरा कमिश्नर को किया गया था ।

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