गुरु की प्रेरणा ने दिखाई जीवन में सफलता की राह

थी घटना किशोरी को घर से उठा ले गए थे दबंग शब्द 250 समय 7 बजे

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 11:36 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 11:36 PM (IST)
गुरु की प्रेरणा ने दिखाई जीवन में सफलता की राह
गुरु की प्रेरणा ने दिखाई जीवन में सफलता की राह

जागरण संवाददाता, उरई : कहते हैं कि गुरु के बिना ज्ञान प्राप्ति संभव नहीं। गुरु ही आगे बढ़ने की राह दिखाता है। हर गुरु की चाह होती है कि उसके शिष्य कुछ अच्छा करें, जिससे कि उनका नाम भी रोशन हो। लोग अपने गुरु की पूजा इसीलिए करते हैं कि सफलता उसके माध्यम से ही मिली है। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा पर शिष्य अपने गुरुओं से आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं। कठिन समय में बढ़ाया हौसला

मैं जौनपुर के बधैला स्थित डॉ. भगवानदास इंटर कॉलेज का छात्र था। विद्यालय में गणित के अध्यापक रामधारी सिंह, अंग्रेजी के शिक्षक कन्हैया लाल, विज्ञान शिक्षक संजीव सिंह का मुझसे अधिक लगाव था। मैं भी उनका सम्मान करता था। पढ़ाई में रुचि देखकर तीनों ही शिक्षक मुझे बड़ा अधिकारी बनने के लिए प्रेरित करते थे। जब कभी कठिन समय आया तो तीनों ही गुरु ने मार्गदर्शन कर हौसला बढ़ाया। गुरु की प्रेरणा से ही आज मैं अच्छे पद पर हूं। गुरु पूर्णिमा पर मैं उनको नमन करता हूं।

प्रेमचंद यादव, बीएसए

पढ़ाई में हमेशा किया मार्ग दर्शन

मैं मध्य प्रदेश के छतरपुर जनपद में बहादुरपुर गांव के प्राथमिक स्कूल में पढ़ता था। स्कूल में एक शिक्षक थे दुर्गा प्रसाद शुक्ला। बेहद मृदुभाषी और समय के पाबंद। उनका लगाव तो सभी छात्रों से था लेकिन मुझे कुछ अधिक चाहते थे। वह मुझसे हमेशा कहते थे कि अभी मेहनत कर लोगे तो जीवनभर आराम करोगे। उनकी बात मैंने गांठ बांध ली। उनके मार्गदर्शन में कक्षा आठ तक पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इंटर कॉलेज में दाखिला लिया। हालांकि तब भी गुरु जी हमेशा मेरा मार्गदर्शन करते रहे। उनके मार्गदर्शन से ही मैं आज अच्छे पद पर हूं। उनको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं।

- भगवत पटेल, जिला विद्यालय निरीक्षक

गुरु की प्रेरणा से बना ज्योतिषाचार्य

धर्म अध्यात्म में मेरी रुचि बचपन से रही है। पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे नई दिल्ली के छतरपुर मंदिर के महंत बाबा नागपाल महराज के शिष्य होने का गौरव प्राप्त हुआ। गुरु के मार्गदर्शन से आगे बढ़ता रहा। उन्होंने ज्योतिष से लेकर धर्म अध्यात्म की तमाम बारीकियों से अवगत कराया। वह कहते थे, जीवन में कुछ अच्छा करना है तो सोच भी अच्छी रखनी होगी। समाज सेवा की भावना मन में होनी चाहिए। उनकी बात को गांठ बांधकर आगे बढ़ता रहा। आज जो भी हूं, उनकी ही कृपा है। गुरु पूर्णिमा के पर्व पर गुरु को शत-शत नमन करता हूं।

- अनुपम शास्त्री, ज्योतिषाचार्य

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