जिले की शौर्य गाथा सुना रहे गांव भटपुरा के अवशेष

अशोक त्रिवेदी औरैया देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में जब कभी शौर्य व पराक्रम की गाथा का इ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:21 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:21 PM (IST)
जिले की शौर्य गाथा सुना रहे गांव भटपुरा के अवशेष
जिले की शौर्य गाथा सुना रहे गांव भटपुरा के अवशेष

अशोक त्रिवेदी , औरैया: देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में जब कभी शौर्य व पराक्रम की गाथा का इतिहास खंगाला जाता है तो इन पन्नों में औरैया का नाम भी जुड़ा हुआ मिलता है। ऐसा ही वाकया किताबों में दर्ज है। वर्ष 1858 में 18 से 24 मई तक चले क्रांतिकारियों व ब्रिटिश सेना के बीच हुए भीषण युद्ध का। जिसमें यहां के रणबांकुरों ने अपना बलिदान देते हुए फिरंगियों को कालपी की ओर बढ़ने से रोके रखा था। कुल मिलाकर जिले के क्रांतिवीरों के शौर्य से ब्रिटिश सेना के दांत खट्टे तो हुए ही थे, उनके पराक्रम का लोहा भी उसने मानी थी।

शहर से सटे यमुना के बीहड़ स्थित शेरगढ़ घाट पर प्रथम स्वाधीनता संग्राम में इटावा से बीहड़ के रास्ते जा रही फिरंगियों की विशाल सेना को क्रांतिकारियों ने छह दिन तक भीषण युद्ध कर आगे बढ़ने से रोका था। कालपी पहुंचकर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लेने का तत्कालीन इटावा के कलेक्टर एओ ह्यूम का मंसूबा क्रांतिकारियों ने ध्वस्त कर दिया था। 23 मई 1858 को जब रानी लक्ष्मीबाई कालपी में हार गईं। तब शेरगढ़ घाट से क्रांतिवीरों ने अपना मोर्चा हटाया। इसके बाद एओ ह्यूम ने अतिरिक्त सेना मंगाकर शेरगढ़ घाट और देवकली मंदिर क्षेत्र में भारी उत्पात मचाया। मंगला काली मंदिर के पास बसे गांव भटपुरा को तोप के गोलों से वीरान कर दिया। इस गांव के अवशेष आज भी यहां क्रांतिवीरों की शौर्य गाथा को सहेज रहे हैं। इसका उल्लेख 'फ्रीडम स्ट्रगल इन यूपी' पुस्तक के वोल्यूम फाइव में किया गया है।

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