ॐ नम: शिवाय

जागरण संवाददाता औरैया शहर के मध्य स्थित सत्तेश्वर मंदिर लाखों शिव भक्तों की आस्था का केंद

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 11:12 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 11:12 PM (IST)
ॐ नम: शिवाय
ॐ नम: शिवाय

जागरण संवाददाता, औरैया: शहर के मध्य स्थित सत्तेश्वर मंदिर लाखों शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है। श्रावण मास के अतिरिक्त वर्ष भर पूरे नगर की मां, बहनें और पुरुष शिवलिग पर जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। सावन के पहले सोमवार को मंदिर में आस्था का सैलाब रहा। जैसा की शिव भक्तों का कहना है कि अन्य मंदिरों की तरह ही यह मंदिर सिद्धपीठ में शुमार है। रक्षाबंधन पर्व पर यहां पर दो दिवसीय मेला का आयोजन होता है।

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मंदिर का प्राचीनतम इतिहास-

मंदिर में स्थापित शिव लिग का निर्माण करीब 200 वर्ष पूर्व का नगर के बुजुर्ग मानते हैं। मंदिर से लगा हुआ काफी बड़ा तालाब भी स्थित है। जो अब देखरेख व रखरखाव के अभाव में धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खो रहा है। आज भी मंदिर के पास प्राचीन कुआं स्थापित है। मंदिर परिसर में सती का मठ बना हुआ है। शिवलिग की स्थापना के साथ ही देवी सती की पूजा आराधना हो रही है। यहां पर दो सौ वर्ष पुराने पीपल के पेड़ भी स्थापित हैं।

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विशेषताएं-

शहर में सत्तेश्वर ही एक ऐसा मंदिर है। जहां पर दो दिवसीय मेला लगता है। जिसमें पूरे नगर के लोग रक्षाबंधन पर कचरिया तालाब में जलप्रवाह करने के बाद भोले नाथ को भेंट करते हैं। मेला में पहले दिन केवल पुरुषों के आने की अनुमति रहती है। जबकि दूसरे दिन मां बहनों का मेला रहता है। इसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध रहता है। सैकड़ों वर्षों से श्रावण मास में श्रीमछ्वागवत कथा का आयोजन किया जाता है। जो अनवरत होता चला आता है। हर किसी की मनो कामनाएं पूरी होने पर इस मंदिर की मान्यता और भी बढ़ जाती है। कोई भी भक्ति शिव दरबार से आज तक निराश नहीं लौटा है।

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व्यवस्थाएं-

मंदिर की व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए कमेटी गठित है। वह यहां नित्य आरती पूजन व अन्य व्यवस्थाएं संभाले हुए हैं। श्रावण मास में भक्तों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो जाती है। यहां पर रोजाना जलाभिषेक करने के लिए पूरे नगर से लोग पहुंचते हैं।

-दीपक शुक्ला (फोटो- 2)

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मंदिर से अटूट आस्था जुड़ी है। दूर-दराज से भक्त मंदिर में भोले शिव के दर्शन व जलाभिषेक करने आते हें। अन्य मंदिरों की तरह ही यह मंदिर सिद्धपीठ में शुमार है। श्रावण मास में भक्तों का सैलाब मंदिर में उमड़ता है। करीब 200 साल पुराना शिवलिग है।

-अखिलेश पांडेय, शिव भक्त (फोटो-3)

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