कालिदी उफनाई, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट
संवाद सहयोगी अजीतमल कालिदी के उफनाने पर तहसील प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। बाढ़ निय
संवाद सहयोगी, अजीतमल : कालिदी के उफनाने पर तहसील प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। बाढ़ नियंत्रण चौकियों पर तैनात कर्मचारियों को स्थिति पर नजर रखने की हिदायत दी गई है। लोगों से बाढ़ से बचने व एहतियात बरतने का अनुरोध किया गया है।
एसडीएम विजेता, सीओ प्रदीप कुमार के निर्देशन में बाढ़ नियंत्रण चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। सीएचसी अधीक्षक डा. विमल कुमार ने भी आशा, एएनएम को भी सतर्क कर दिया है। पशु चिकित्साधिकारी डा. कैलाश बाबू ने पशुपालकों को बाढ़ के पानी से पशुओं को दूर रखने का आग्रह किया है। वन रेंजर राजकुमार ने भी विभागीय कर्मचारियों के साथ क्षेत्र के बंधों और पेड़ों पर न•ार रखना शुरू कर दिया है।
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हाइवे से टूटा गांव का संपर्क
हथिनीकुंड से यमुना में पानी छोड़े जाने से गोहानी कलां के संपर्क मार्ग पर करीब सात फुट तक पानी भर गया। इससे हाइवे का संपर्क गांव से टूट गया हे। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर बाढ़ के पानी में घुसकर बाबरपुर आते दिखाई दिए। अध्यापक भी बाढ़ के पानी में घुसकर विद्यालय पहुंचे। पानी से होकर निकल रहा ईंटें भरी ट्राली पलट गई। गनीमत रही कि हादसा नहीं हुआ। सूत्रों की मानें तो यदि इसी रफ्तार से पानी बढ़ता रहा तो देर रात तक पड़ोसी जनपद के गांव गढ़ा कासदा का संपर्क मार्ग अवरुद्ध हो जाएगा। एसडीएम विजेता ने कहा कि बाढ़ पर लगातार नजर रखी जा रही है। केंद्र व चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। गोताखोरों व नाव चालकों को भी आगाह कर दिया गया है। पशु, स्वास्थ्य व पंचायत विभाग को भी अलर्ट रहने के आदेश दिए गए हैं। सीएचसी अधीक्षक डा. विमल कुमार ने बताया कि आशा व एएनएम को बाढ़ प्रभावित गांवो पर नजर रखने के आदेश दिए गए हैं। सीएचसी में भी दस बेड की व्यवस्था अलग से की गई है। किसी भी आपात स्थित से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहेगी।
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डूब गए पेड़, टूट गए बांध
बाढ़ से पेड़ों के डूबने और खेतों में बने बांध टूटने की स्थित पैदा हो गई है। तहसीलदार राजकुमार ने बताया कि बारिश अधिक होने से पेड़ डूब गए है। बनाए गए बंधे टूट गए हैं। संबंधित विभागों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। प्रभावित गांवों का लगातार दौरा कर न•ार रखी जा रही है।
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कोटा बैराज से छोड़ा गया पानी
हरियाणा के हथिनीकुंड से पानी छोड़े जाने से बाढ़ की स्थित इतनी खौफनाक नहीं होती, जितनी चंबल में कोटा बैराज से पानी छोड़ने पर होती है। यमुना की बाढ़ का पानी अभी गांवों की सीमाओं और निचले संपर्क मार्गों तक ही पहुंचा है। लेकिन यदि इसी गति से पानी में वृद्धि हुई और कोटा बैराज से अधिक पानी छोड़ा गया तो स्थिति भयावह हो सकती है।