यमुना व बेतवा का बढ़ा जलस्तर, अलर्ट जारी

जागरण टीमउरई यमुना के जलस्तर में लगातार दूसरे दिन भी वृद्धि हुई। मंगलवार को यमुना का

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 07:03 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 07:03 PM (IST)
यमुना व बेतवा का बढ़ा जलस्तर, अलर्ट जारी
यमुना व बेतवा का बढ़ा जलस्तर, अलर्ट जारी

जागरण टीम,उरई : यमुना के जलस्तर में लगातार दूसरे दिन भी वृद्धि हुई। मंगलवार को यमुना का जलस्तर 103.75 मीटर दर्ज किया गया। जलस्तर बढने से यमुना पट्टी के गांवों में बाढ़ आने की संभावना से ग्रामीण भयग्रस्त हैं।

रविवार की देर रात से यमुना का जलस्तर पुन: बढ़ना शुरू हुआ था जो सोमवार को 102.40 मीटर दर्ज किया गया था। मंगलवार को केंद्रीय जल आयोग के रूपेश कुमार के मुताबिक यमुना का जलस्तर 103.75 मीटर रिकार्ड किया गया। यमुना का जलस्तर 10 से 15 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। जलस्तर बढ़ने से नगर का किलाघाट पीलाघाट व बाईघाट, ढोड़ेश्वर घाट बाढ़ में पूर्णत: डूब चुके हैं। पानी का बहाव भी तेज है। उधर यमुना पट्टी के मदारपुर, हीरापुर, मैनूपुर, देवकली, गुढ़ा, मंगरौल, पड़री, नरहान, दहेलखंड, पाल, सरैनी, सिकन्ना, भदेख, जीतामऊ, रायढ़, गुलौली, सुरौला, इकौना आदि गांवों में लोगों के बीच बाढ़ की दहशत है। उधर प्रशासन ने क्षेत्र की सात बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया है। केंद्रीय जल आयोग हर घंटे जलस्तर माप कर रिपोर्ट दे रहा है। जल आयोग के मुताबिक अभी जलस्तर बढ़ने की संभावना प्रबल है। फिलहाल अभी तक किसी गांव में बाढ़ का पानी नहीं पहुचा है।

दो मीटर बढ़ा बेतवा का जलस्तर :

डकोर : बुंदेलखंड में एक हफ्ते से अधिक बारिश होने के बावजूद बेतवा नदी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।24 घंटे में बेतवा नदी के जलस्तर में 2 मीटर की बढ़त हुई है। मंगलवार को बेतवा नदी का जलस्तर 113.80 सेमी रहा। बेतवा का खतरे के निशान 122.64 सेमी पर है। बेतवा नहर के अधिकारी अनुमान लगा रहे हैं कि बुधवार तक नदी का जलस्तर और बढ़ सकता है। जिसके लेकर क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी गई है।

किसी फसल को नुकसान तो किसी को हुआ फायदा :

लगातार हो रही बारिश के कारण ज्यादातर फसलों को नुकसान ही पहुंचता है जिसमें सबसे अधिक नुकसान तिल की फसल को हो रहा है। क्योंकि खेतों में पानी भरा होने से तिल की फसल सड़ने लगी है। इसके साथ ज्वार व बाजरे की फसल को अभी नुकसान नहीं है। जिन खेतों में पानी नहीं भरा है उनके खड़ी फसलों के लिए बारिश अमृत समान साबित हो रही है।

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