आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर ने डिशवाशर-क्रिम्पिग मशीन की खूबियों को परखा
संस अजीतमल खुली आंखों से देखे गए सपने सच होते हैं। जरूरत है अपनी प्रतिभा योग्यता का सही मूल्य
संस, अजीतमल: खुली आंखों से देखे गए सपने सच होते हैं। जरूरत है अपनी प्रतिभा, योग्यता का सही मूल्यांकन कर अपने योग्य कार्य चुनने की। कुछ ऐसा ही कर दिखाया अजीतमल के बाबरपुर कस्बा अशोक नगर मोहल्ला निवासी अनिवेष चतुर्वेदी दी। उनके द्वारा जूठी कप-प्लेट व बर्तनों को खुद-ब-खुद धोने वाली एक डिशवाशर मशीन निर्मित की गई है। इसके अलावा स्प्रिंग स्टील तार को मनचाहे तरीके से मोड़कर एक शेप देने के लिए वायर क्रिम्पिग मशीन बनाई गई। दोनों मशीनों की खूबियों को आइआइटी कानपुर की चार सदस्यीय टीम ने रविवार को परखा। आत्मनिर्भर की दिशा में अनिवेष की सोच की तारीफ की।
धनबाद से वर्ष 2013 में मैकेनिकल इंजीनियरिग करने के बाद अनिवेष ने वर्ष 2017 तक गुरुग्राम स्थित एक मल्टीनेशनल कार कंपनी में कार्य किया था। किसी के नीचे नौकरी न करने की सोच को वह जुनून बना बैठे और नौकरी छोड़ गांव लौट आए। इसके बाद वर्ष 2018 में टिनशेड के नीचे मेहनत लगन से वायर क्रिम्पिग और डिशवाशर मशीन तैयार की। डिशवाशर मशीन बनाने के लिए उन्होंने वर्ष 2019 से कार्य शुरू किया था। दिसंबर 2020 में सफलता मिली। इसके बाद किया गया ट्रायल सफल रहा। इस मशीन से झूठी प्लेट (थाली) को खांचे में रखा जाता है। मशीन में पानी की सप्लाई मोटर के जरिये है। उसके बाद प्लेट या बर्तन धुल जाएंगे। वहीं वायर क्रिम्पिग मशीन से स्प्रिंग स्टील तार को मनचाहे तरीके से मोड़कर आकार दिया जा सकता है। रविवार की दोपहर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर से टीम पहुंची। इसमें प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय, अनिमेष मिश्रा, ऋषभ आदि मौजूद रहे। प्रोफेसर अमिताभ ने कहा कि आइआइटी व एनएनआइटी कालेज सहित बड़े स्थानों पर यह मशीन लगाए जाने का आर्डर दिए जाने पर कार्य होगा।