पहले ही जाते चेत तो आज पौधे न होते अचेत

जागरण संवाददाता औरैया हर साल धरातल को हरा-भरा बनाने व पौधों को संरक्षित करने का संक

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:40 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 11:40 PM (IST)
पहले ही जाते चेत तो आज पौधे न होते अचेत
पहले ही जाते चेत तो आज पौधे न होते अचेत

जागरण संवाददाता, औरैया: हर साल धरातल को हरा-भरा बनाने व पौधों को संरक्षित करने का संकल्प प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लिया जाता है। लेकिन, हरियाली कागजों पर ही रह जाती है। इसके पीछे का कारण पौधे रोपित करने के बाद उनकी देखरेख न करना है। यही वजह है कि जुलाई के पहले सप्ताह में 33 लाख पौधों को लगान व संरक्षित करने का संकल्प टूट गया।

कोरोना काल में आक्सीजन की कमी का एहसास हर किसी को हुआ। हरे पेड़-पौधे जीवन के लिए कितने उपयोगी है, इसकी सीख भी लोगों ने ली। सरकारी तंत्र पौधारोपण के लिए जुट गया लेकिन पुराना ढर्रा अपनाने में देरी नहीं की। यही वजह है कि धरातल को हरा-भरा बनाए रखने व आक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए लगाए गए लाखों वट वृक्ष के पौधे सूख गए हैं। अजीतमल रोडवेज बस स्टेशन परिसर, दिबियापुर में निर्माणाधीन रोडवेज बस स्टेशन के पास वन विभाग की जमीन, चिचौली स्थित सौ शैय्या अस्पताल, पीएचसी-सीएचसी, बेसिक व माध्यमिक के स्कूल, कालेज-महाविद्यालय व बीएसए और डीआइओएस कार्यालय परिसर, ककोर मुख्यालय, पुलिस लाइन में रोपे गए पौधों में ज्यादातर का वजूद खत्म हो चुका है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पौधारोपण के नाम पर औपचारिकता निभाने का कार्य किया गया। जबकि हर साल पौधारोपण को लेकर लक्ष्य निर्धारित किया जाता है।

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चार जुलाई से शुरू हुआ था अभियान:

जिले में चार जुलाई से शुरू हुए पौधारोपण अभियान का लक्ष्य पूरा करने के बाद जिम्मेदारों ने अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली। लगाए गए पौधों ज्यादातर बिना सुरक्षा व देखरेख के नष्ट हो रहे हैं। एक पखवारा नहीं बीता कि मुस्कराते लहलहाते पौधे मुरझा गए हैं। कई पौधों की जड़ें सूख गईं हैं।

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