मित्रता भी ऐसी, दो दिलों के साथ आशियाने भी एक

जागरण संवाददाता औरैया मित्रता की एक मिसाल अजीतमल क्षेत्र में स्व. लक्ष्मण सिंह चौहान व डा. शफी

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 12:00 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 12:00 AM (IST)
मित्रता भी ऐसी, दो दिलों के साथ आशियाने भी एक
मित्रता भी ऐसी, दो दिलों के साथ आशियाने भी एक

जागरण संवाददाता, औरैया: मित्रता की एक मिसाल अजीतमल क्षेत्र में स्व. लक्ष्मण सिंह चौहान व डा. शफीक हुसैन खान के रूप में एक प्रकाश स्तंभ है। जिन्होंने जाति धर्म से ऊपर उठकर सामाजिक सद्भाव व एकता को कायम रखने का जीवन भर सफल प्रयास किया। जहां वर्तमान समय में भाई भाई भी साथ नहीं रह पाते हैं, उनके घर में ही दीवारें खड़ी हो जाती हैं। वहीं इन दोनों मित्रों के मध्य आज तक कोई दीवार नहीं खड़ी हो पाई।

स्व.लक्ष्मण सिंह चौहान को स्मरण करते हुए उनके बाल सखा डॉ. खान आज भी भाव विह्वल हो जाते हैं। उन्होंने बताया की उनकी मित्रता का आरंभ सन 1952 में कक्षा छह में अजीतमल के निकटवर्ती गांव गंगदासपुर के विद्यालय में हुआ था। तत्पश्चात दोनों एक साथ श्री जनता इंटर कालेज अजीतमल में वर्ष 1955 में कक्षा नौ में प्रवेश लिया तथा यहां से ही इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात वह अध्ययन के लिए राजकीय कृषि महाविद्यालय कानपुर जो वर्तमान में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर है चले गए और मित्र चौहान ने अपनी शिक्षा आरबीएस कालेज आगरा से प्राप्त की। लेकिन दोनों लोगों की मित्रता का संबंध यथावत जारी रहा। वर्ष 1964 में भाग्यवश दोनों लोग जनता महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर एक साथ नियुक्त हुए। पुन: उनकी मित्रता परवान चढ़ी, दोनों लोगों ने एक साथ ही प्लाट खरीदा और एक ही नक्शे से मकान बनाया। उल्लेखनीय बात यह है कि इन दोनों मकानों के मध्य अभी भी कोई दीवार नहीं है। डा. खान ने विभागाध्यक्ष कृषि प्रसार के पद से वर्ष 2001 में अवकाश ग्रहण किया तो स्व. लक्ष्मण सिंह चौहान जी ने वर्ष 2006 में प्राचार्य जनता महाविद्यालय अजीतमल के पद से अवकाश ग्रहण किया। दुर्भाग्यवश इस वर्ष कोविड-19 से संक्रमित होकर श्री चौहान छह मई 2021 को दिवंगत हो गए। उनके चले जाने के पश्चात भी उनके व हमारे परिवार के मध्य में आज भी पूर्व व पारिवारिक संबंध यथावत है। दोनों ही परिवार एक दूसरे का ध्यान रख रहे हैं।

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