निस्वार्थ भाव से की गई ईश्वर आराधना ही फलदायी

संवाद सहयोगी अजीतमल बाबरपुर कस्बा स्थित संतोषी माता मंदिर पर आयोजित श्रीमद़भागवत कथा के अंति

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 06:59 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 06:59 PM (IST)
निस्वार्थ भाव से की गई ईश्वर आराधना ही फलदायी
निस्वार्थ भाव से की गई ईश्वर आराधना ही फलदायी

संवाद सहयोगी, अजीतमल: बाबरपुर कस्बा स्थित संतोषी माता मंदिर पर आयोजित श्रीमद़भागवत कथा के अंतिम दिन आचार्य ने सुदामा चरित्र का मार्मिक वर्णन किया। भवगतप्रेमियों को भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों का अनुकरण करने की सीख दी।

बृंदावन धाम से आए आचार्य पंडित शिव निवास ने श्रोताओं को श्रीकृष्ण-सुदामा मित्रता का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि भक्त व भगवान के बीच गरीब, अमीर का कोई स्थान नहीं है। छल, कपट रहित प्रेम से ही भगवान की भक्ति मिल सकती है। निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति व सुदामा की तरह समपर्ण हमें कृपा का पात्र बना सकता है। सद्कर्मों व परोपकार के मार्ग पर चलकर ही हम सुख समृद्धि व यश को पा सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है। आज की मित्रता में स्वार्थ छिपा रहता है। हमारी पूजा आराधना में निरंतर हमारी इच्छाओं की पूर्ति का भाव बना रहता है। सब कुछ ईश्वर पर छोड़कर भक्ति करने से ही फल की प्राप्ति होती है।

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