आर-टीपीसीआर लैब को लेकर मुहैया कराए गए उपकरण

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By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 11:21 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 11:21 PM (IST)
आर-टीपीसीआर लैब को लेकर मुहैया कराए गए उपकरण
आर-टीपीसीआर लैब को लेकर मुहैया कराए गए उपकरण

जागरण संवाददाता, औरैया: वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण की पहचान किए जाने के लिए जिला संयुक्त चिकित्सालय स्थित बंद पड़े पुराने क्षयरोग अस्पताल में आर-टीपीसीआर लैब स्थापित की जानी है। आठ मई को लैब के सिलसिले में तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम कानपुर से क्षयरोग अस्पताल पहुंची थी। विशेषज्ञों द्वारा किए गए सर्वे के बाद लैब स्थापित करने की दिशा

में कार्य शुरू करा दिया गया है। मंगलवार को जरूरी उपकरणों की उपलब्धता करा दी गई है।

जिला संयुक्त चिकित्सालय व सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर ट्रूनेट मशीन से कोविड का परीक्षण बंद कर दिया गया है। आरटी-पीसीआर से जांच के लिए हर दिन नमूना सैफई अस्पताल की लैब को भेजा जाता है। जहां पहले से टेस्टिग के लिए कई नमूने होने से जिले से भेजी जाने वाली रिपोर्ट आने में कई दिन लगते हैं। ऐसे में अधिकांश जानकारी के अभाव में संक्रमण फैलाने का वाहक बन रहे हैं। इस दुश्वारी को खत्म करने के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर चेन रिएक्शन (आर-टीपीसीआर) लैब जिले में स्थापित की जा रही है। लैब शुरू होने पर लक्षण वाले और गंभीर मरीजों की कोविड जांच हो सकेगी। कोविड जांच रिपोर्ट 24 घंटे में पता लग जाएगी। अभी यह जानकारी 10 से 15 दिन में लगती है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि कानपुर से तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम ने कुछ दिन पूर्व पुराना क्षय रोग चिकित्सालय का सर्वे किया था। तकनीकी विशेषज्ञों में डॉ. आरपी यादव ने लैब के लिए चिकित्सालय को फाइनल कर दिया है। डॉ. अर्चना ने बताया कि आर-टीपीसीआर जांच में संक्रमित व्यक्ति के गले और नाक से सैंपल लिए जाते हैं। उनकी जांच लैब में माइक्रो-बॉयोलॉजिस्ट द्वारा की जाती है। एक सैंपल की जांच के लिए कम से कम सात से आठ घंटे का समय लगता है।

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कुछ इस तरह होती जांच

आर-टीपीसीआर से पहले राइबोज न्यूक्लिक अम्ल (आरएनए) को डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल (डीएनए) में बदला जाता है। वायरस का पता लगाने के लिए चेन रिएक्शन कराई जाती है। इस प्रक्रिया के बाद ही पता चलता है कि मरीज कोविड से संक्रमित है या नहीं। कोविड की जांच जिले में आर-टीपीसीआर व रैपिड एंटीजेन के माध्यम से की जा रही है।

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