गाइडलाइन जारी होने के बाद स्कूल खोलने की कवायद
जागरण संवाददाता औरैया कोविड-19 संक्रमण की नियंत्रित स्थिति को देखते हुए शिक्षण संस्थानों म
जागरण संवाददाता, औरैया: कोविड-19 संक्रमण की नियंत्रित स्थिति को देखते हुए शिक्षण संस्थानों में नवीन सत्र प्रारंभ करने की तैयारी शुरू करा दी गई है। सीबीएसई में 10वीं के नतीजे आने बाकी है। इसके अलावा सभी बोर्ड ने 10वीं व 12वीं के परिणाम घोषित कर दिए हैं। विवि से संबद्ध स्नातक-परास्नातक महाविद्यालयों में भी परीक्षा हो चुकी है। ऐसे में स्नातक स्तर पर दाखिले की प्रक्रिया पांच अगस्त से शुरू होने की चर्चाए हैं। इसके अलावा बेसिक व माध्यमिक के स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई 16 अगस्त से शुरू हो सकती है। फिलहाल, अधिकारियों को शासन की ओर से जारी होने वाली गाइडलाइन का इंतजार है।
कोरोना काल की वजह से इस वर्ष शिक्षण कार्य ज्यादा प्रभावित रहा। एक जुलाई से स्कूल खुले लेकिन पढ़ाई आनलाइन जारी है। कोरोना के केस कुछ हद तक कम होने पर अब आफलाइन होने वाली पढ़ाई को लेकर मंथन शुरू हो गया है। उधर, माध्यमिक शिक्षण संस्थानों में जिन विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रोन्नत किया गया है, उनके दाखिले की प्रक्रिया शुरू करा दी गई है। सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी होने के बाद प्रशासन की ओर से स्कूलों में विद्यार्थियों को बुलाए जाने की तैयारियां शुरू करा दी जाएगी। जिलाधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने डीआइओएस व बीएसए को इस बात के संकेत भी दे दिए हैं। शासन द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत विद्यार्थियों को स्कूल बुलाया जाएगा। इससे पहले सारी तैयारियां पूर्ण कराई जानी हैं। बच्चे के लिए अमृत के समान है मां का दूध जागरण संवाददाता, औरैया: जन्म के बाद शिशुओं को जरूरत होती है संपूर्ण आहार प्यार और सुरक्षा की। मां के दूध शिशु की सारी जरूरतें पूरी करता है। साथ ही साथ उसके जीवन की सही शुरुआत भी देता है। स्तनपान प्राकृतिक है, मां के प्यार की तरह इसकी जगह और कोई नहीं ले सकता।
होम्योपैथिक चिकित्सक डा. ओमवीर सिंह बताते हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान है। स्तनपान कराना मां व बच्चे दोनों के लिए हितकारी है। इसलिए शिशु को छह माह तक केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। इसे दो वर्ष या उससे अधिक समय तक जारी भी रखना चाहिए। मां के दूध पर शिशु का अधिकार भी है। शारीरिक विकास व पोषण तो देता है। साथ ही यह सुपाच्य भी होता है। इसमें पाए जाने वाले तत्व सभी संक्रामक रोगों से शिशु को सुरक्षा प्रदान करते हैं। विशेष रूप से दस्त रोग से बचाता है।