सीएम की घोषणा के बाद फिर जागी प्लास्टिक सिटी की आस

जागरण संवाददाता औरैया अखिलेश यादव सरकार ने यूपीएसआईडीसी की अधिग्रहीत जमीन पर प्लास्टिक

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Nov 2019 11:27 PM (IST) Updated:Mon, 04 Nov 2019 06:17 AM (IST)
सीएम की घोषणा के बाद फिर जागी प्लास्टिक सिटी की आस
सीएम की घोषणा के बाद फिर जागी प्लास्टिक सिटी की आस

जागरण संवाददाता, औरैया: अखिलेश यादव सरकार ने यूपीएसआईडीसी की अधिग्रहीत जमीन पर प्लास्टिक सिटी बसाने की घोषणा कर इसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल किया था, लेकिन किसानों की मुआवजे की लड़ाई के सामने यह प्रोजेक्ट परवान नहीं चढ़ सका। अब इसको पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने घोषणा की है। वह जल्द ही इसके लिए केंद्र सरकार से ग्रांट की मांग करेंगे, लेकिन मांगें पूरी न होने के कारण किसान अभी तक अधिग्रहीत जमीन पर कब्जा जमाए हैं। किसानों की समस्याएं सुलझाए बिना यह प्रोजेक्ट इस सरकार के लिए भी सिरदर्द बन सकता है।

लखनपुर गांव के पास बनने वाली प्लास्टिक सिटी बसने से पहले उजड़ने लगी है। सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट प्लास्टिक सिटी को 2017 में शुरू होना था। लंबे अर्से से कोई काम शुरू न होने से अब किसानों ने दोबारा खेतों में फसल उगानी शुरू कर दी है। प्रचार-प्रसार के लिए लगे बोर्ड जमीन पर गिरकर बेकार हो रहे हैं। पुलिस चौकी वीरान पड़ी है। प्लास्टिक सिटी बनने के लिए पांच गांवों की 314 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। 250 करोड़ की लागत आ रही थी। इसमें 285 एकड़ में उद्योग लगाए जाने थे व 89 एकड़ भूमि में आवासीय परिसर बनने थे। यह परियोजना प्रदूषण मुक्त थी। यहां गैस संचालित उद्योग ही लगने थे। छोटे छोटे उद्योग लगाने के लिए पांच हजार से ज्यादा लोगों ने आवेदन किए थे। मगर किसानों की मुआवजे की लड़ाई के कारण यह प्रोजेक्ट अधूरा रह गया। अब किसानों ने प्लास्टिक सिटी की बाउंड्रीवाल के अंदर दोबारा खेती करनी शुरू कर दी है। सीएम योगी की घोषणा से आस तो बंधी है, लेकिन किसानों की लड़ाई में प्रोजेक्ट आगे बढ़ता नहीं दिख रहा। किसान संघर्ष समति के अध्यक्ष ओमकार राजपूत का कहना है कि यूपीएसआईडीसी ने कौड़ियों के दाम जमीन ले ली और अब सोने के भाव बेच रहे हैं। यूपीएसआईडीसी ने अधिग्रहण किया और फिर बिना नोटीफिकेशन के प्लास्टिक सिटी में कैसे बदल गया। जिसके लिए जमीन अधिग्रहीत हुई वह काम पूरा नही हुआ तो अधिग्रहण खत्म हो गया। नए प्रोजेक्ट के लिए दोबारा नोटिफिकेशन निकालकर नए सर्किल रेट से अधिग्रहण करें। किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो काम नहीं होने देंगे।

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