किसान के हाथ से निकलते ही सब्जी के दाम तीन गुना

हसनपुर किसानों ने गर्मी धूप की परवाह किए बिना सब्जी तैयार की लेकिन कोरोना बंदी के चलते सप्लाई नहीं हो पा रही।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 11:09 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 11:09 PM (IST)
किसान के हाथ से निकलते ही सब्जी के दाम तीन गुना
किसान के हाथ से निकलते ही सब्जी के दाम तीन गुना

हसनपुर : किसानों ने गर्मी धूप की परवाह किए बिना सब्जी तैयार की लेकिन, कोरोना बंदी के चलते लगातार सब्जी के दामों में गिरावट आ रही है। बाहर की मंडियों में सब्जी नहीं पहुंचने के चलते किसान स्थानीय मंडी में ही सब्जी को औने पौने दाम बेचने को विवश होना पड़ रहा है। किसान के हाथ से निकलते ही सब्जी के दाम तीन गुना हो रहे हैं। जिससे मध्यम वर्ग के लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं।

स्थानीय मंडी में इन दिनों थोक में टमाटर ढाई रुपये किलो, खीरा चार, तुरई 10 रुपये, लौकी चार रुपये, भिडी 15, करेला चार रुपये, तरबूज छह रुपये तथा खरबूजा आठ रुपये किलो बिक रहा है। किसानों का कहना है कि इतने सस्ते रेट में सब्जी की फसल में फायदा होना तो दूर लागत लौटनी भी मुश्किल है।

उधर, मंडी से सस्ती सब्जी खरीदकर टमाटर 10 रुपये किलो, खीरा 15 रुपये, तुरई 20 रुपये, लौकी 10 रुपये, भिडी 30 रुपये, करेला 10रुपये, तरबूज 10 रुपये तथा खरबूजा 30 रुपये किलो तक बिक रहा है। इससे खासकर मध्यम वर्ग के लोग परेशान हैं।

खास बात यह है कि सब्जी में किसानों से ज्यादा मुनाफा सब्जी विक्रेता कमा रहे हैं। किसान के पास से सब्जी खरीदते ही दाम दो से तीन गुना तक बढ़ाकर बेच रहे हैं। इसका खामियाजा मध्यम वर्ग के लोगों को ही झेलना पड़ रहा है। सरकार को गेहूं एवं धान की तरह सब्जी की फसल पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी लेनी चाहिए। किसान सब्जी उत्पादन करके इसी तरह लूटते रहे तो सब्जी उगाना बंद कर देंगे।

- देवेंद्र सैनी, तहसील अध्यक्ष, भाकियू भानू। बाहर मंडियों में सब्जी नहीं पहुंचने से सब्जी के दाम बहुत घट गए हैं। इसकी वजह से सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। यही स्थिति रही तो मोहभंग हो सकता है।

- राजपाल सैनी, किसान। गर्मी एवं धूप में रात दिन मेहनत करके सब्जी की फसल तैयार की है। लेकिन, कोरोना बंदी के चलते सब्जी के दाम इतने घट गए हैं कि आमदनी तो दूर लागत भी नहीं लौट रही है।

- भरत सिंह, किसान। कोरोना की प्रथम लहर में भी किसानों को सब्जी सड़कों पर फेंकने पड़ी थी और दूसरी लहर में भी सब्जी के दाम नहीं मिल रहे हैं। सब्जी को बाहर भेजने की व्यवस्था की जाए।

- मदन पाल सिह, किसान।

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