बाहर की दवा का पर्चा लेकर भटक रहे मरीज

जिला अस्पताल में बुखार, खांसी, नजला, टाईफाइड आदि रोगों से ग्रसित मरीजों की भरमार है। सैकड़ों मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं। लेकिन डाक्टर अस्पताल में दवाईयां न होने का बहाना बनाकर मरीजों को बाहर से दवाईयां लिख रहे हैं। मरीज बाहर से दवाईयां खरीदने पर मजबूर हैं। मरे पर दो लाते और सवार, कहावत मरीजों पर सटीक बैठती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 10:56 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 10:56 PM (IST)
बाहर की दवा का पर्चा लेकर भटक रहे मरीज
बाहर की दवा का पर्चा लेकर भटक रहे मरीज

अमरोहा : जिला अस्पताल में बुखार, खांसी, नजला, टाईफाइड आदि रोगों से ग्रसित मरीजों की भरमार है। सैकड़ों मरीज रोजाना इलाज को आ रहे हैं लेकिन डाक्टर अस्पताल में दवाइयां न होने की बात कहकर मरीजों को बाहर की दवाईयां लिख रहे हैं। इसके चलते गरीब मरीज बाहर पर्चा लेकर मेडिकल स्टोर पर भटकते नजर आते हैं।

केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से सभी के लिए विभिन्न स्वास्थ्य योजनाएं चल रही हैं। योजनाओं के तहत सरकारी अस्पतालों में ग्रामीण एवं शहरी सभी मरीजों का मुफ्त इलाज करने के आदेश हैं। इसमें शासन की ओर से सरकारी अस्पतालों को हर माह करोड़ों की दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके बावजूद जिला अस्पताल के डाक्टर सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने में लगे हैं, क्योंकि जब मरीज इलाज कराने अस्पताल आते हैं तो उन्हें अस्पताल की दवाई न लिखकर बाहर की दवाइयां धड़ल्ले से लिख रहे हैं।

हकीकत जानने को दैनिक जागरण की टीम मंगलवार की सुबह दस बजे जिला अस्पताल पहुंची तो इसी तरह का नजारा देखने को मिला। जिला अस्पताल मरीजों से खचाखच भरा था। अधिकतर मरीज बुखार, टाईफाइड, खांसी, नजला, इंफेक्शन आदि से ग्रसित थे। अधिकतर डाक्टर मरीजों को अस्पताल की दवाई न लिखकर पांच-पांच दिन की बाहर की दवाइयां लिख रहे थे। इससे मायूस कई मरीजों ने अस्पताल से ही दवाई दिलाने की गुहार भी लगाई। बावजूद इसके उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। मेडिकल स्टोर पर दवाईयों की कीमत तीन सौ से लेकर चार सौ रुपये तक बताई गई। इससे मरीजों के होश उड़े दिखाई दिए। जिनकी जेब में इतने रुपये नहीं थे वह उधार लेकर किसी तरह दवा खरीदते नजर आए। सरकारी अस्पताल से अच्छे तो गांव के डाक्टर

अमरोहा: जब मरीजों को सरकारी अस्पताल के बजाय बाहर की दवाइयों के दाम तीन से लेकर चार सौ रुपये चुकाने पड़े तो वह बोले कि सरकारी अस्पताल नाम का ही है। गरीबों को मुफ्त इलाज का बस दिखावा है। इससे तो गांव में ही ठीक हैं। कम से कम रुपयों में गांव के डाक्टरों से इलाज करा लेते हैं। उनका इशारा झोलाछापों की ओर था। जनपद में नही हैं कास्मेटिक चिकित्सक

अमरोहा: भले ही स्वास्थ्य विभाग जनपद के मरीजों को सभी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रहा हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। जनपद में एक भी न तो कास्मेटिक सर्जन हैं और न ही पर्याप्त दवाईयां मौजूद हैं। इसके चलते मरीज आते तो हैं लेकिन बैरंग लौट जाते हैं।

बाहर की दवा लेने वालों की सूची

गांव का नाम मरीज का नाम रजिस्ट्रेशन संख्या

रमपुरा रेशमा 158653

मौहल्ला शफातपोता बकीला बेगम 173433

रमपुरा कय्यूम 17320

सकरपुर सितारा 173324

मौहल्ला छेबड़ा रेशमा 158653

नौगावां तगा मंगल ¨सह 173346

सिनौरा साजिया 172051

पंजूसराय असगरी बेगम 159225

पंजूसराय फरीदा बेगम 167543 अस्पताल में सभी दवाइयां उपलब्ध हैं। किसी मरीज को बाहर से दवा लाने के लिए नहीं कहा जाता है। अगर किसी मरीज को कोई परेशानी है तो वह सीधे मुझसे शिकायत कर सकता है।

डॉ. राम निवास, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला अस्पताल।

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