गंगा मैया के बड़े चहेते जाफर भैया

अमरोहा एक हैं जाफर भैया तिगरी गांव में जन्मे गंगा के मैदान में खेले कमाए खाए जिए हैं। अब उनके बनाए नक्शे के हिसाब से ही पूरा मेला सजता-संवरता है कहां कितना जल है कब तक धारा की दिशा किधर रहेगी उन्हें जैसे सब कुछ पता होता है। दीपावली के बाद सब कुछ छोड़कर मेलों की तैयारियों में जुट जाते हैं। वे चाहते हैं कि गंगा-जमुनी तहजीब बनी रहे तिगरी मेला इसी के लिए पहचाना जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 11:47 PM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 06:02 AM (IST)
गंगा मैया के बड़े चहेते जाफर भैया
गंगा मैया के बड़े चहेते जाफर भैया

अमरोहा: एक हैं जाफर भैया, तिगरी गांव में जन्मे, गंगा के मैदान में खेले, कमाए, खाए, जिए हैं। अब उनके बनाए नक्शे के हिसाब से ही पूरा मेला सजता-संवरता है, कहां कितना जल है, कब तक धारा की दिशा किधर रहेगी, उन्हें जैसे सब कुछ पता होता है। दीपावली के बाद सब कुछ छोड़कर मेलों की तैयारियों में जुट जाते हैं। वे चाहते हैं कि गंगा-जमुनी तहजीब बनी रहे, तिगरी मेला इसी के लिए पहचाना जाता है। गांव तिगरी में ही जन्में हैं जाफर अली खां। गंगा का फाट जैसे उनके घर का आंगन है, इसीलिए शानदार तैराक हैं। कई अवार्ड जीत चुके हैं। स्पो‌र्ट्स में रुचि रही है। पढ़ाई के बाद इंस्पेक्टर बनना चाहते थे, परीक्षा भी पास कर ली, पर बड़े भाई को कैंसर का पता चला। इसलिए नौकरी पर नहीं गए, घर-कारोबार की जिम्मेदारी संभाली। संयोग ये हुआ कि स्पो‌र्ट्समैन होने और इंस्पेक्टर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के कारण पुलिस वालों में काफी जान-पहचान हो गई। उन पुलिसवालों की ड्यूटी तिगरी गंगा मेला में लगी, वहां जाफर भैया थे ही, सबके मददगार बन गए। इस प्रकार मेला व्यवस्था में रुचि जगी और वह बढ़ते ही गई। पिछले 25 वर्ष से हर पुलिस अधिकारी मेले से पहले जाफर भैया को बुलाता है, समझता है। जाफर भी गंगा मैया को जितना समझते हैं, उतना ही गंगा मैया के चहेते भी हैं, शायद, इसीलिए गंगा मैया भी उनके नक्शे, उनकी योजना को फलीभूत कर रही हैं। लाखों लोग सकुशल कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करके लौट जाते हैं, अफसरों का धन्यवाद करके और अफसर जाफर मियां का धन्यवाद करके। जाफर मियां की इच्छा है कि सनातनी संस्कृति का यह मेला सांप्रदायिक सछ्वाव का सांस्कृतिक मेला भी बने, गंगा-जमुनी तहजीब फलती-फूलती रहे, क्योंकि तिगरी गंगा मेला तो इसी के लिए पहचाना जाता है। इसके लिए वे अपना सब काम-धाम छोड़कर कई दिनों के लिए गांव में ही डट जाते हैं। बदले में उन्हें सिर्फ प्यार और सम्मान चाहिए होता है, वह भरपूर मिलता है। डीजीपी से लेकर एसपी तक हर खास मौके पर उन्हें सम्मानित भी करते हैं। बाकी लोगों से प्यार मिलता है और वे हर साल लाखों लोगों को स्नान कराकर स्वयं भी गंगा नहा जाते हैं।

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