रसूले पाक ने दुनिया को दी इंसानियत की तालीम

मुस्लिम कमेटी के तत्वावधान में जश्न-ए-ईद-ए-मुलादुन्नबी की 17दिवसीय तकरीबात का 14वां प्रोग्राम जलसा-ए-सीरत-ए-पाक मुहल्ला सराय कोहना स्थ्त सैयद जायर हुसैन चौक में आयोजित हुआ। इसकी सदारत मुफ्ती सैयद मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी व निजामत हाजी खुर्शीद अनवर ने की। जलसे का आगाज हाफिज शमीम ने कुरआन मजीद की तिलावत से किया तथा जुबैर इब्ने सैफी हाफिज अफ्फान जैदी शमीम अमरोहवी ने नाते नबी पेश की।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 11:46 PM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 06:02 AM (IST)
रसूले पाक ने दुनिया को दी इंसानियत की तालीम
रसूले पाक ने दुनिया को दी इंसानियत की तालीम

अमरोहा: मुस्लिम कमेटी के तत्वावधान में जश्न-ए-ईद-ए-मुलादुन्नबी की 17दिवसीय तकरीबात का 14वां प्रोग्राम 'जलसा-ए-सीरत-ए-पाक' मुहल्ला सराय कोहना स्थित सैयद जायर हुसैन चौक में आयोजित हुआ। इसकी सदारत मुफ्ती सैयद मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी व निजामत हाजी खुर्शीद अनवर ने की। जलसे का आगाज हाफिज शमीम ने कुरआन मजीद की तिलावत से किया तथा जुबैर इब्ने सैफी, हाफिज अफ्फान जैदी, शमीम अमरोहवी ने नाते नबी पेश की। मंगलवार रात आयोजित इस जलसे में जमीयत उलेमा-ए-हिद के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना अशहद रशीदी भी मौजूद रहे। उन्होंने जलसे को खिताब करते हुए कहा कि पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) का पूरा जीवन मानवता की सेवा में गुजरा। जब रसूले पाक इस दुनिया में तशरीफ लाए तो उस समय अरब देश की सामाजिक स्थिति बहुत खराब थी। महिलाओं का कोई सम्मान नहीं था। लोग अपनी बेटियों को जिदा दफन कर देते थे। कबीलों के लोग आपस में लड़ते रहते थे। लोग शराब और जुए के आदी हो चुके थे। आपसी भाईचारा और प्यार-मोहब्बत खत्म हो चुके थे। मौलाना ने कहा कि इन बुराइयों के खिलाफ बाद में रसूले पाक ने पहल की थी। आपकी परवरिश चाचा हजरत अबू तालिब ने की। आपने पूरी जिंदगी मानवता की सेवा की। अरब की बिगड़ती हुई सामाजिक दशा को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। रसूले पाक ने लोगों को इंसानियत की तालीम दी। बाद में मौलाना ने मुल्क व कौम की तरक्की व अमन की दुआ कराई तथा रसूले पाक के बताए रास्ते पर चलने की ताकीद की। इस मौके पर मुफ्ती सैयद मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी, हाजी सैयद महबूब हुसैन जैदी, हाजी अब्दुल कय्यूम राईनी, हाजी असलूब हुसैन जैदी, डॉ. नजमुन्नबी, मंसूर अहमद, हाजी ओवैस मुस्तफा रिजवी, आले नबी, तंजीम हुसैन, मुराद अली खान , मुराद आरिफ, निराले अंसारी, यासिर अंसारी, इकराम हुसैन जैदी, हाजी अफजाल अहमद, शहजाद इसहाक व मंसूर हुसैन जैदी मौजूद रहे।

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