औद्योगिक नगरी में गहराया बिजली संकट, उपभोक्ता परेशान

गजरौला औद्योगिक नगरी में बिजली संकट फिर गहरा गया है। सोमवार को सुबह से शाम तक पांच घटे बिजली गुल रही।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 12:29 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 12:29 AM (IST)
औद्योगिक नगरी में गहराया बिजली संकट, उपभोक्ता परेशान
औद्योगिक नगरी में गहराया बिजली संकट, उपभोक्ता परेशान

गजरौला : औद्योगिक नगरी में बिजली संकट फिर गहरा गया है। सोमवार को सुबह से शाम तक पांच घंटे से अधिक बिजली गुल रहने से उपभोक्ता खासे परेशान रहे। उन्हें अपने घर व प्रतिष्ठानों के कामकाज करने में दिक्कत के साथ गर्मी से भी जूझना पड़ा।

पिछले कुछ दिनों से सुबह-शाम तीन-चार घंटे की बिजली कटौती की जा रही है लेकिन, सावन का पहला सोमवार होने के बावजूद कटौती से कोई राहत नहीं दी गई। इसके विपरीत इससे अधिक कटौती करके उपभोक्ताओं को और अधिक परेशान किया गया। सुबह को सात बजते ही बिजली गायब हो गई। दो घंटे बाद सुचारू हुई तो दोपहर में फिर डेढ़ घंटे के लिए रोस्टिग कर दी गई। रोस्टिग खत्म होने का समय होने पर आपूर्ति शुरू की गई। उसी दौरान बारिश पड़ने पर फिर बिजली गायब हो गई। शाम को सवा छह बजे बिजली बहाल होने के बाद भी बार-बार बिजली आने व गायब होने का सिलसिला रात आठ बजे तक चलता रहा।

बिजली की इस कटौती व आवाजाही की स्थिति से उपभोक्ता खासे परेशान रहे। वह अपने घरों व प्रतिष्ठानों पर बिजली संकट के कारण जरूरी कार्य भी नहीं निबटा पाए। हालांकि परेशानी के दौरान दुकानदार महेश कुमार, सोनू, दिनेश इत्यादि ने बताया कि उनके द्वारा बिजलीघर फोन किया तो कभी रोस्टिग व कभी फाल्ट के कारण आपूर्ति बंद होने की जानकारी दी गई। बता दें कि इस तरह उपभोक्ताओं को रोज ही बिजली की परेशानी से जूझना पड़ रहा है। बारिश ने दिलाई गर्मी से मामूली राहत

गजरौला : सोमवार की शाम करीब पौन घंटा बारिश पड़ने से उमस भरी गर्मी से कुछ राहत मिल गई। आसमान में बादल तो पिछले कई दिनों से मंडरा रहे थे लेकिन बरस नहीं पा रहे थे। सोमवार की शाम करीब चार बजे मौसम मेहरबान होते ही बारिश गिर गई। शुरुआत में बूंदे कुछ तेज गिरी, लेकिन आधे घंटे बाद ही बूंदे धीमी पड़ने के बाद बारिश बंद भी हो गई। हालांकि इस हल्की बारिश ने भी उमस भरी गर्मी से कुछ राहत दिला दी। वहीं कुछ स्थानों पर इस बारिश से जलभराव व कीचड़ की समस्या उत्पन्न होने से लोगों को परेशानी से भी दो-चार होना पड़ा।

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