बीमारी का खतरा होगा खत्म, जैविक खाद बनाएगी पालिका
गजरौला औद्योगिक नगरी की पालिका ने मल जनित बीमारी का खतरा खत्म करने के लिए कवायद शुरू कर दी है।
गजरौला : औद्योगिक नगरी की पालिका ने मल जनित बीमारी का खतरा खत्म करने के लिए कवायद शुरू की है। घरों के सेप्टिक टैंकों से निकलने वाले मल को एकत्र कर खाद बनाकर आय का साधन बनाया जाएगा। इसके लिए पालिका एफएसटीपी (फिजल सलज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाने की तैयारी कर रही है।
लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हैं। इसलिए सालों-साल सेफ्टिक टैंकों की सफाई नहीं कराते हैं। नतीजन वह न सिर्फ भूजल में समाने लगता है बल्कि टैंकों से बाहर निकलकर नालियों में भी निकास होने लगता है। इससे संक्रामक रोगों के फैलने का भी खतरा बना रहता है। इसलिए पालिका ने 15वां वित्त आयोग से मल को आय का साधन बनाने का कार्ययोजना तैयार की है। इस योजना को जिलाधिकारी द्वारा स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। अब मल से न सिर्फ खाद बनेगा बल्कि प्लांट लगाकर वहां से शुद्ध पानी निकालने की भी तैयारी है। इस प्लांट को लगाने के लिए पांच बीघा जमीन की तलाश शुरू हो गई है। उम्मीद है कि जमीन मिलते ही प्लांट का लगाकर कार्य शुरू हो जाएगा।
चालीस लाख की कार्य योजना
गजरौला : घरों के सेप्टिक टैंकों से निकलने वाले मल से खाद व शुद्ध जल बनाने की कार्ययोजना 15वां वित्त आयोग के तहत 40 लाख रुपये की बनाई है। इस बजट के माध्यम से पालिका पांच बीघा जमीन पर एफएसटीपी (फिजल सलज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाया जाएगा। इस प्लांट की 35 केएलडी क्षमता होगी।
तीन साल में होनी चाहिए टैंक की सफाई
गजरौला : घरों में बने टैंक के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। ईओ विजेंद्र सिंह पाल बताते हैं कि वैज्ञानिकों के मुताबिक सेप्टिक टैंक की सफाई हर तीन साल में होनी चाहिए। क्योंकि तीन वर्ष बाद मल असुर का रूप ले लेता है और संक्रामक रोग फैलाकर मानव जीवन पर बुरा प्रभाव डालता है। एफएसटीपी (फिजल सलज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाया जाएगा। इसके लिए पालिका पांच बीघा जमीन तलाशने में जुटी है। जल्द ही प्लांट लगाकर खाद व शुद्ध पानी बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा।
विजेंद्र सिंह पाल, अधिशासी अधिकारी, गजरौला। एफएसटीपी (फिजल सलज ट्रीटमेंट प्लांट) से न सिर्फ पालिका की आय बढ़ेगी बल्कि लोगों को शुद्ध पानी भी मुहैया कराया जाएगा। जमीन उपलब्ध होते ही प्लांट लगवाया जाएगा।
अंशु नागपाल, अध्यक्ष, नगर पालिका, गजरौला।