पंजाब की धरती पर कर्म, बदायूं में निभाएंगे लोकतंत्र का धर्म

गजरौला लोकतंत्र में एक-एक वोट की अहमियत है। उंगली पर लगने वाली इसी वोट की स्याही से सर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 12:07 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 12:07 AM (IST)
पंजाब की धरती पर कर्म, बदायूं में निभाएंगे लोकतंत्र का धर्म
पंजाब की धरती पर कर्म, बदायूं में निभाएंगे लोकतंत्र का धर्म

गजरौला : लोकतंत्र में एक-एक वोट की अहमियत है। उंगली पर लगने वाली इसी वोट की स्याही से सरकारें गिर जाती हैं और बन भी जाती हैं। मतदान के जज्बे के साथ भूखे पेट एक परिवार के लोगों का पंजाब से बदायूं का सफर इसका जीता जागता सबूत है कि मताधिकार को लेकर देश जागरूक हो रहा है।

दरअसल बदायूं के थाना बिल्सी क्षेत्र के गांव सिरतोल निवासी खुशीराम, दर्शन, हरीशंकर, बदन सिंह, दन्ने सिंह व कृपाल सिंह एक ही परिवार के चचेरे-तहेरे भाई हैं। स्वजन के साथ कई साल से पंजाब में मजदूरी करते हैं। लोकतंत्र का पर्व मनाने का जज्बा कूट-कूटकर भरा है। हर पांच साल में गांव की सरकार बनाने में भागीदारी निभाते हैं। इस बार भी गांव के लिए पंजाब से निकल पड़े। शनिवार की रात दिल्ली की सीमा में प्रवेश किया तो वहां पर रात्रि क‌र्फ्यू होने की वजह से रोक लिया। पूछताछ करते हुए थर्मल स्क्रीनिग की गई। उत्तर-प्रदेश की सीमा में आए तो यहां भी क‌र्फ्यू की बंदिशों में घिर गए। दुकानें भी बंद थीं और पेट में भूख की आग दहक रही थी। इन हालातों से जूझते हुए गजरौला में हाईवे पर गांव शहबाजपुर डोर के पास पहुंचे। यहां सड़क किनारे एक नल पर पानी पीकर प्यास बुझाई। कुछ देर ठहरे और फिर 19 अप्रैल को गांव में होने वाले मतदान में सहभागिता निभाने के जुनून के साथ आगे के लिए रवाना हो गए। कर्म और धर्म कैसे निभाया जाता है। वह भी इनसे सिखा जा सकता है। प्रत्याशी भी करते हैं गांव आने की अपील

गजरौला : पंजाब से बदायूं जा रहे हरिशंकर ने बताया भले ही हम सब मजदूर तबके के लोग हैं मगर, मताधिकार कर एक अलग सी अनुभूति महसूस होती है। लगभग 15-16 वोट हैं। चुनाव के समय पर गांव में प्रधान पद के दावेदार भी कई-कई बार फोन कर गांव आने की बात कहते हैं फिर मतदान हमारा अधिकार भी है। वहां पर मतदान भी करते हुए गांव के लोगों से भी मिलना हो जाता है।

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