इस्लाम ने सबसे पहले दिया महिलाओं को बराबरी का हक: मुफ्ती शकील

जबकि, नात शरीफ का नजराना असलम बकाई व जुबैर इब्ने सैफी ने पेश किया। मुफ्ती शकील कासमी ने आगे फरमाया कि इस्लाम जम्हूरी निजाम का मजहब है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Nov 2018 11:26 PM (IST) Updated:Tue, 20 Nov 2018 11:26 PM (IST)
इस्लाम ने सबसे पहले दिया महिलाओं को बराबरी का हक: मुफ्ती शकील
इस्लाम ने सबसे पहले दिया महिलाओं को बराबरी का हक: मुफ्ती शकील

अमरोहा: मौलाना मुफ्ती शकील अहमद कासमी ने कहा कि दुनियाभर में आज महिला सशक्तिरण की बात की जा रही है, लेकिन पैगंबरे इस्लाम ने आज से 1400 साल पहले ही महिलाओं को वो मुकाम दे दिया है जो आज के कानूनदां भी उन्हें नहीं दे पाए। ईद मीलादुन्नबी की 17दिवसीय तकरीबात के सिलसिले में सोमवार रात मुस्लिम कमेटी के बैनर तले शहर के मुहल्ला दानिशमंदान में सीरते तैयबा के उन्वान से जलसे का आयोजन किया। जलसे की शुरूआत मौलाना साद अमरोहवी ने तिलावते कलामे पाक से की। जबकि, नात शरीफ का नजराना असलम बकाई व जुबैर इब्ने सैफी ने पेश किया। मुफ्ती शकील कासमी ने आगे फरमाया कि इस्लाम जम्हूरी निजाम का मजहब है। इसमें महिलाओं को पूरी बराबरी के अधिकार दिए गए हैं, उन्हें उतने अधिकार किसी और धर्म ने नहीं दिए हैं। इस्लाम ने महिलाओं को सम्मान दिया। दायित्वों और कर्तव्यों के मामले में औरत व मर्द बराबर हैं। मां की हैसियत ये बताई गई है कि उसके पैरो तले जन्नत है। मुफ्ती साहब ने रसूले खुदा (स.अ.)के हुस्न-ओ-जमाल के बारे में बताते हुए कहा कि हुस्ने युसूफ अलेहिस्सलाम आप (स.अ.) के हुस्ने कुल का जुज है। जलसे में मुस्लिम कमेटी के सदर अब्दुल कयूम राईनी, डॉ.नजमुन्नबी, उवैस मुस्तफा रिजवी, अली इमाम रिजवी, मंसूर अहमद एडवोकेट, सूफी निशात, यासिर अंसारी, कमर नकवी, हाजी एजाजुल इस्लाम, शजर एडवोकेट, अजीम मंसूरी व मोहम्मद याकूब मौजूद रहे। जलसे की सदरात मोहम्मद शादाब कुरैशी व निजामत हाजी खुर्शीद अनवर ने की।

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