कहीं दादा-दादी तो किसी के नाना-नानी बने पालनहार

अब सरकार ने सभी संरक्षकों के खातों में मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत प्रतिमाह चार हजार की दर से तीन महीने के 12 हजार रुपये की भेजी है। गोपालों के स्कूलों में प्रवेश की कार्रवाई को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। जिसके लिए संरक्षकों से सहमति पत्र व जरूरी दस्तावेज मांगे गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 12:31 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 12:31 AM (IST)
कहीं दादा-दादी तो किसी के नाना-नानी बने पालनहार
कहीं दादा-दादी तो किसी के नाना-नानी बने पालनहार

अमरोहा, जेएनएन: कोरोना संक्रमण में माता-पिता को खोने वाले बच्चों को पालनहार मिल गए हैं। किसी का लालन-पालन दादा-दादी कर रहे हैं तो किसी का नाना-नानी। संरक्षक बनकर उनकी हर जिम्मेदारी को उठा रहे हैं। अब सरकार ने सभी संरक्षकों के खातों में मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत प्रतिमाह चार हजार की दर से तीन महीने के 12 हजार रुपये की भेजी है। गोपालों के स्कूलों में प्रवेश की कार्रवाई को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। जिसके लिए संरक्षकों से सहमति पत्र व जरूरी दस्तावेज मांगे गए हैं।

जनपद में न तो कोई बालगृह है और न ही किशोरगृह। कोरोना काल में अभी तक जिलेभर में 37 बच्चे चिह्नित हुए हैं, जिन्हें किसी सरकारी आवासीय स्थल पर नहीं रखा गया है। सभी बच्चे स्वजन के साथ रहते हैं। हसनपुर क्षेत्र के सात बच्चे अपने दादा-दादी के संग रहते हैं। पांच बच्चे अपने नाना-नानी के संग रहते हैं। अन्य अपने स्वजनों के साथ ही हंसी-खुशी से जिदगी बिता रहे हैं। मां-बाप की कमी, उनको महसूस न हो, इसलिए दादा-दादी व नाना-नानी उनकी हर ख्वाहिश पूरी कर रहे हैं। सभी बाल-गोपालों के स्वजन संरक्षक बन गए हैं। दो बच्चों के दादा-दादी ने बताया कि बच्चों में बेटे की सूरत दिखती है। जिससे जीने की आस बढ़ गई है। अब उनकी खातिर जीना है। पढ़ाना-लिखाना है। एक बच्ची के नाना-नानी कहती हैं कि बिटिया को कोरोना निगल गया। उसकी एक निशानी बची है। धेवती में बेटी की सूरत नजर आती है। अब हम ही उसको पालेंगे। बालिग होने तक उनकी चल-अचल संपत्ति की सुरक्षा जिलाधिकारी द्वारा की जाएगी। कानूनी विवादों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से विधिक सहायता ली जाएगी। योजना से लाभान्वित किए जाने वाले बच्चों की ये हैं तीन श्रेणियां

- 0 से 18 साल की उम्र तक के ऐसे सभी बच्चे जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से हुई हो या जिनके माता व पिता में से एक की मृत्यु 1 मार्च 2020 से पूर्व हो गई थी तथा दूसरे की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण के दौरान हुई हो या फिर जिनके माता व पिता दोनों की मृत्यु 1 मार्च 2020 से पूर्व हो गई थी, उनके वैध संरक्षक की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से हो गई हो।

- ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना के कारण अपने माता-पिता में से आय अर्जित करने वाले अभिभावक को खो दिया हो तथा वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो।

- कोविड-19 से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन या आरटीपीसीआर की प्लस वीई टेस्ट रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट या सीटी स्कैन में कोविड-19 का इंफेक्शन होना माना जा सकता है। कोविड-19 का पेसेंट कतिपय परिस्थितियों में टेस्ट में निगेटिव आने के बाद भी पोस्ट कोविड कंपलीकेशन से उसकी मृत्यु हो सकती है। यह मृत्यु भी कोविड-19 की वजह से ही मानी जाती है। यह मिलेगा योजना का लाभ

--- 0-10 साल तक की आयु के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में चार हजार रुपये प्रतिमाह की धनराशि देय होगी बशर्ते औपचारिक शिक्षा के लिए उनका पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो। इसके अतिरिक्त ऐसे बच्चे जो पूर्णतया अनाथ हो गए हों एवं बाल कल्याण समिति के आदेश से उनको बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराया गया हो, उनको कक्षा 6 से 12 तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिलाया जाएगा 11 से 18 साल तक की उम्र के बच्चों की कक्षा 12 तक की निश्शुल्क शिक्षा रहेगी। -- अगर बच्चों के संरक्षक उनको आवासीय स्कूलों में प्रवेश नहीं दिलाना चाहते हों तो बच्चों की देखरेख व शिक्षा के लिए उनको 18 साल की आयु होने या कक्षा 12 तक की शिक्षा पूरी होने तक चार हजार रुपये प्रतिमाह की धनराशि दी जाएगी। बशर्ते बच्चे को औपचारिक शिक्षा के लिए अनिवार्य रूप से किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया हो। -- सरकार ऐसी सभी बालिकाओं की शादी के लिए एक लाख एक हजार रुपये उपलब्ध कराएगी। कक्षा 9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के बच्चों को टेबलेट/लैपटाप की सुविधा एक बार देगी। वैध संरक्षक का चिन्हांकन जनपद स्तरीय टास्क फोर्स द्वारा किया जाएगा और वह ऐसे प्रकरण का अनुश्रवण भी करेगी।

-- जिला बाल संरक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति द्वारा उपरोक्त बच्चों के शिक्षा, पोषण, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य आदि के संबंध में निरंतर फालोअप किया जाएगा। योजना के लाभ की यह है प्रक्रिया

-- जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो गई, ऐसे सभी चिन्हित बच्चों या उनके अभिभावकों से जिला बाल संरक्षण इकाई तथा बाल कल्याण समिति सीधे संपर्क कर उनके आवेदन पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया को 15 दिन के अंदर पूर्ण कराएंगे। जिला स्तरीय टास्क फोर्स उसका पर्यवेक्षण करेगी।

-- ऐसे बच्चे (10 वर्ष से अधिक आयु के) स्वयं/ संरक्षक आफलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन ग्रामीण क्षेत्रों में बीडीओ/वीडीओ के पास या विकास भवन में डीपीओ कार्यालय में तथा शहरी क्षेत्र में अपने क्षेत्र के लेखपाल के पास या तहसील में जमा कर सकते हैं।

--माता-पिता/ माता या पिता की मृत्यु से दो साल के भीतर आवेदन करना अनिवार्य होगा। किसी भी बच्चे को अनुमोदन की तिथि से लाभ अनुमन्य होगा। आवेदनों का सत्यापन ग्रामीण क्षेत्र में बीडीओ व शहरी में एसडीएम द्वारा किया जाएगा।

--डीपीओ सभी सत्यापित आवेदनों को जिला स्तरीय टास्क फोर्स के समक्ष पेश करेंगे। टास्क फोर्स की गतिविधियों, योजना से संबंधित समस्याओं व शिकायतों आदि के निराकरण के संबंध में रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष योजनांतर्गत गठित राज्य अनुश्रवण समिति द्वारा उसका अनुश्रवण किया जाएगा। आवेदन के लिए ये दस्तावेज जरूरी

पूर्ण आवेदन पत्र बच्चे व वर्तमान अभिभावक के नवीनतम फोटो सहित। माता/पिता दोनों जैसी भी हो मृत्यु प्रमाण पत्र। बच्चे की आयु का प्रमाण पत्र। परिवार रजिस्टर की नकल अथवा किसी सरकारी दस्तावेज की प्रति जिसमें आयु का उल्लेख हो। शिक्षण संस्थान में पंजीयन का प्रमाण पत्र। उ.प्र. के निवासी होने का घोषणा पत्र। आय प्रमाण पत्र (माता व पिता दोनों की मृत्यु होने की स्थिति में आवश्यक नहीं)। क्या कहते हैं अधिकारी

अभी 37 बच्चों को सरकार द्वारा चलाई गई मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत लाभान्वित किया गया है। यह धनराशि उनके संरक्षकों के खातों में गई है। जिसके उनको प्रमाण पत्र भी बांटे गए हैं। अब बच्चों के स्कूल में प्रवेश दिलाने आदि की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए उनके संरक्षकों से कुछ दस्तावेज आदि उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।

दुर्गेश नंदिनी, प्रभारी जिला प्रोबेशन अधिकारी

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