हिदुस्तान जिंदाबाद से मिला बोलने का मंत्र
राजनीति और बैंक अफसर दो विपरीत धाराएं हैं।
अनिल अवस्थी, अमरोहा: राजनीति और बैंक अफसर दो विपरीत धाराएं हैं। एक खेल में पारी समाप्त हुई तो अचानक दूसरी के लिए मैदान में उतरना पड़ा। ऐसे में किसी को भी कठिनाई हो सकती थी लेकिन जिंदगी की पारी में साथ क्रिकेटर चेतन चौहान का रहा हो तो फिर कौन निशाना चूक सकता है। उनकी पत्नी संगीता यह बखूबी दिखा दिया है। बैंक अफसर रहने के बाद सियासी डगर पर निकली हैं। सिर्फ 15 दिन में मझी हुई सियासतदा की तरह हाथ दिखा रही हैं।
प्रदेश के खेल मंत्री चेतन चौहान के 16 अगस्त को निधन के बाद अमरोहा की नौगवां सीट पर विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है। भाजपा ने चेतन की पत्नी और सेट्रल बैंक की पूर्व महाप्रबंधक संगीता चौहान को टिकट दिया है। पार्टी नेतृत्व ने उन्हें चेतन के अधूरे रह गए सपनों को पूरा करने का शुरू में प्रस्ताव दिया था, तो पहले थोड़ा सकुचाईं। फिर विपरीत परिस्थितियों में भी अंतिम गेंद तक धैर्य के साथ पिच पर डटे रहने का चेतन का मंत्र याद आया। उन्होंने शेष जिंदगी संघर्ष की राह पर चलने का फैसला कर लिया। आखिर 14 अक्टूबर को उनके टिकट का एलान हुआ और 15 को वह सियासी मैदान में उतर गईं। 15 दिन में लगभग सौ गावों का दौरा कर चुकी हैं। सभाओं में उनके धाराप्रवाह बोलने के हुनर से हर कोई हतप्रभ है। महिलाएं गले लगा रही हैं तो आशीर्वाद के लिए बुजुर्गो के हाथ खुद-ब-खुद उठ रहे हैं। लोगों को भा रही उनकी साफगोई
टिकट फाइनल होने के बाद संगीता जब चुनावी सभा करने पहली बार निकली थीं तो कई लोगों ने उन्हें कहा क्या बोलना है, सब कुछ सिखाया था। उसको याद करने की उधेड़बुन में वह सब कुछ भूल गईं। भारत माता की जय बोलना था, मगर हिदुस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया। बस यहीं से उन्होंने ठान लिया कि जो उनके दिल में है, अब वही बोलेंगी। वह जहा जाती हैं पति की उपलब्धियां गिनाती हैं। जीत होने पर हर किसी के साथ खड़े होने का वादा करती हैं।लोग चुनाव के दौरान चेतन के गाव आने की यादें उनके सामने ताजा करते हैं तो वह कई बार फफक भी पड़ती हैं। ऐसे वक्त उन्हें धीरज बंधाने पूरा गाव साथ खड़ा हो जाता है। वह इस समय 18-18 घंटे तक चुनावी रणनीति और सभाओं में व्यस्त रहती हैं।