गुपचुप बोर्ड बैठक में ईओ कार्यमुक्त, प्रशासन ने नकारा
अमरोहा जोया नगर पंचायत की अध्यक्ष ने छह दिन पहले गुपचुप तरीके से बोर्ड की आपातकालीन बैठक
अमरोहा: जोया नगर पंचायत की अध्यक्ष ने छह दिन पहले गुपचुप तरीके से बोर्ड की आपातकालीन बैठक बुलाकर अधिशासी अधिकारी दीपिका शुक्ला के खिलाफ निदा प्रस्ताव पारित कर उन्हें पद से कार्यमुक्त कर दिया। खामोशी के साथ हुई इस बैठक में बगैर अधिकार की गई कार्रवाई को जिलाधिकारी उमेश मिश्र ने सिरे से नकार दिया। कहा आचार संहिता में किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो सकती है।
पिछले काफी समय से जोया नगर पंचायत की ईओ व नगर पंचायत अध्यक्ष के बीच विवाद चल रहा है। ईओ की शिकायत पर चेयरमैन पति जाहिद हुसैन जेल भी गए थे। उसके बाद से विवाद कम होने के बजाय और गहराता जा रहा है। 15 अक्टूबर को चेयरमैन ने बोर्ड की आपातकालीन बैठक बुलाई थी। यह बैठक उनके कैंप कार्यालय पर हुई। इसमें ईओ के खिलाफ निदा प्रस्ताव पारित कर उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 58 में दिए गए प्रावधानों के तहत राजकीय एवं जनहित में ईओ को पद से कार्यमुक्त करने की बात कही गई। इस बैठक में 10 सभासदों ने हिस्सा लिया। इसकी कॉपी उन्होंने डीएम, कमिश्नर व नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी थी लेकिन, जनपद में आचार संहिता लागू है। इसलिए नगर पंचायत का स्टाफ बोर्ड की इस बैठक को दबाकर बैठा रहा। किसी को भनक तक नहीं लगी।
इसका पता तब चला जब बुधवार को नगर पंचायत के कर्मचारी कलक्ट्रेट पहुंचे। यहां उन्होंने शिकायती पत्र के साथ बोर्ड की बैठक की कार्रवाई का पत्र भी जिलाधिकारी को सौंपा। इसको देखते ही हर कोई दंग रह गया। सवाल उठ रहा है कि जब आचार संहिता में कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं है तो ईओ को कार्यमुक्त कैसे कर दिया गया। वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष नजमा ने इस बारे में कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया।
नगर पंचायत बोर्ड की ईओ के खिलाफ की गई कार्रवाई गलत है। आचार संहिता में ऐसा कुछ नहीं हो सकता। इस समय भारत निर्वाचन आयोग ही कोई कार्रवाई कर सकता है।
उमेश मिश्र, जिलाधिकारी। ईओ के खिलाफ कर्मियों की नारेबाजी व प्रदर्शन
अमरोहा : नगर पंचायत जोया की अधिशासी अधिकारी दीपिका शुक्ला अवकाश पर हैं। 21 अक्टूबर तक उनकी छुट्टी है। आरोप है कि अवकाश पर होने के बावजूद बुधवार को ईओ ने कर्मचारियों को आवास पर बुलाया। इस पर कर्मी गुस्सा गए और एकत्र होकर कलक्ट्रेट पहुंचे। यहां ईओ के खिलाफ नारेबाजी की। आरोप लगाया कि जब से ईओ ने नगर पंचायत का चार्ज लिया है तब से वह कर्मचारियों से बदसलूकी, तानाशाही व अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नौकरी से निकालने की धमकी दे रही हैं। चेयरमैन पति को झूठे केस में फंसाकर जेल भिजवाया है। वह कर्मियों को फर्जी मुकदमों में फंसा सकती हैं। इसके बाद कर्मियों ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर ईओ का स्थानांतरण करने की मांग की।
ज्ञापन पर विजय प्रसाद, विपिन कुमार, मो.नोमान, सूरजपाल सिंह, कालीचरन, विक्रम सिंह, गौहर आलम, मो.नईम, मोबीन हसन, फहीम अहमद, विवेक गुप्ता, उज्वैंद्र चौधरी, सोनू, रवि, सतीश, शाने अली, कपिल कुमार, महाराज सिंह, मो.कामिल, ब्रजपाल, अनवार, राहुल गुप्ता, उवैस आलम, शाहनवाज, जियाउर्रहमान, तसव्वर, विजयपाल गौतम, दीप सिंह आदि के हस्ताक्षर हैं।
वर्जन- ईओ की मौजूदगी के बगैर कोई बैठक हो ही नहीं सकती। अगर पद से कार्यमुक्त किया गया है तो वह असंवैधानिक है। फिलहाल, आज तक मेरा अवकाश था। कल इस बारे में पता करेंगे। दीपिका शुक्ला, ईओ नगर पंचायत जोया