19 को विवाद, 20 को बात और 23 को उतार दिया मौत के घाट
गजरौला अचानक ही सुफियान व रामनिवास की हत्या नहीं की गई बल्कि पांच दिन पहले साजिश रच ली गई।
गजरौला : ऐसा नहीं है कि अचानक ही सुफियान व रामनिवास की हत्या की गई बल्कि पांच दिन पहले से ही उन्हें ठिकाने लगाने की तैयारी शुरू हो गई थी। 19 फरवरी को उधार शराब मांगने पर विवाद हुआ था। उसी दौरान शराब ठेकेदार सुल्तान ने रामनिवास का फोन छीना और वह चला गया। इसकी जानकारी होने के बाद 20 फरवरी को रामनिवास के पिता बालकरण समेत अन्य स्वजन शराब की दुकान पर पहुंचे और सेल्समैन सूरज से मोबाइल दिलवाने की बात कही। लेकिन, ठेकेदार सुल्तान ने फोन नहीं दिया। 23 फरवरी की शाम साढ़े छह बजे सुफियान व रामनिवास दोनों पहुंचे। पहले दो पव्वे शराब पी, फिर तीसरा लिया और सेल्समैन सूरज से मोबाइल को लेकर गाली-गलौज करने लगे। सुल्तान को बुलाने की बात कहने लगे। सेल्समैन व कैंटीन चलाने वाले गोविद ने सुल्तान को सुफियान व रामनिवास की हालत के बारे में बताया तो उसने और शराब पिलाने की बात कहते हुए रोककर रखने बोला। इसी बीच सेल्समैन सूरज से हाथापाई हो गई और उसने हत्या कर दी।
कत्ल के बाद स्वजनों के साथ घूमता रहा हत्यारोपित
गजरौला : 23 फरवरी की सुबह जब दोनों के शव बरामद हुए तो हत्यारोपित गोविद भी स्वजनों के साथ घूमता रहा। पुलिस को शक हुआ तो उसे हिरासत में ले लिया। इसके बाद जब छानबीन की तो वह ही हत्यारोपित निकला।
खंडहर मकान की छत पर फेंक दिए थे खून से सने कपड़े
गजरौला : सुफियान व रामनिवास की हत्या करने के बाद हत्यारे सूरज व गोविद करीब एक घंटे तक घटनास्थल पर रहे। वहां पर वारदात के सबूतों को मिटाया। हत्यारोपित सेल्समैन सूरज ने सुफियान को दुकान के सामने ही तबल से हमला कर मारा था। इसके बाद खींचकर गड्ढे में फेंका था। इसके बाद गोविद ने अपने कमरे पर जाकर खून से सने कपड़ों को सामने एक खंडहर मकान की छत पर फेंक दिया और दूसरे कपड़े पहन लिए। इन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया।