नौनिहालों को संस्कारों का पाठ पढ़ा रहे आचार्य

गजरौला (अमरोहा) क ख ग। यही तीन अक्षर हैं जिनके आधार पर सवा सौ आचार्य बच्चों को संस्कारों का पाठ पढ़ा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 11:32 PM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 11:32 PM (IST)
नौनिहालों को संस्कारों का पाठ पढ़ा रहे आचार्य
नौनिहालों को संस्कारों का पाठ पढ़ा रहे आचार्य

गजरौला (अमरोहा) : क, ख ग। यही तीन अक्षर हैं, जिनके आधार पर सवा सौ आचार्य बच्चों को संस्कारों का पाठ पढ़ा रहे हैं। क का मतलब कहानी, ख का मतलब खेल और ग का मतलब गीत द्वारा बच्चों को शिक्षित व संस्कारवान बनाने के साथ हर तरह का ज्ञान दिया जाता है। यह कार्य निशुल्क एकल विद्यालय द्वारा गाव-गांव में चलाया जा रहा है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एकल ग्रामोत्थान सेवा संस्थान का ब्लाक क्षेत्र के गाव सलेमपुर में केंद्र है। यहीं से गजरौला समेत विभिन्न ब्लाक क्षेत्र के सौ गावों में एकल विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इन विद्यालयों पर संस्थान ने प्रशिक्षण देकर आचार्य नियुक्त कर रखे हैं। एक गाव में एक ही आचार्य व एक ही विद्यालय की तर्ज पर गरीब परिवारों के चार से 14 साल तक के तीस बच्चों का पंजीकरण कर उन्हें पढ़ाते हैं। प्राथमिकता स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को दी जाती हैं। इसके लिए उन्हें भव्य भवन की आवश्यकता नहीं रहती। सिर्फ पेड़ के नीचे, सार्वजनिक स्थान या निश्शुल्क उपलब्ध इस तरह के अन्य स्थान पर बच्चों को एकत्र कर कहानी, खेल व गीत के माध्यम से पढ़ाया जाता है। समय दोपहर तीन से शाम पाच बजे तक रहता है। शुरुआत सरस्वती वंदना से करते हैं। बीच में हनुमान चालीसा, गायत्री मंत्र भी सिखाया जाता है। किसी अन्य स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को होमवर्क कराया जाता है। वहीं इन विद्यालयों से ही पढ़ाई में रुचि रखने वाले बच्चों को उनके अभिभावकों की इच्छा पर सरस्वती शिशु मंदिर और बेहद गरीब बच्चों को छात्रावास में रहकर पढ़ाई के लिए भेज दिया जाता है। यहा संस्था ने एक हजार बच्चों की पढ़ाई के हिसाब से हॉस्टल बनवा रखा है।

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शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जा रही निश्शुल्क

गजरौला : एकल विद्यालयों में संस्कारों की शिक्षा ग्रहण कराने वाले नियुक्त आचार्य को प्रशिक्षण देकर उन्हें टाट, पट्टी, कापी, पेंसिल, स्लेट जैसी सामग्री संस्था द्वारा निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। वहीं आचार्य को मानदेय स्वरूप नौ सौ से लेकर 1180 रुपये तक दिए जाते हैं। एकल ग्रामोत्थान संस्थान सेवा केंद्र गजरौला द्वारा क्षेत्र के सौ से अधिक गावों में एकल विद्यालय संचालित हैं। इनका उदेश्य बच्चों का बाल अवस्था से संस्कारों का ज्ञान कराना है। 1989 से संचालित संस्था देश भर में सवा लाख से अधिक एकल विद्यालयों का संचालन कर रही है।

नरेंद्र सिंह

-स्थानीय संचालक

एकल ग्रामोत्थान संस्थान सेवा केंद्र, गजरौला

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