जिले की दो बेटियों संग जापान में दौड़ेंगे 62 साल के रामपाल यादव

जेएनएन अमरोहा प्रतिभा के लिए उम्र मायने नहीं रखती। यह साबित किया है गांव मेहम्दी माफी निव

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 12:20 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 12:20 AM (IST)
जिले की दो बेटियों संग जापान में दौड़ेंगे 62 साल के रामपाल यादव
जिले की दो बेटियों संग जापान में दौड़ेंगे 62 साल के रामपाल यादव

जेएनएन, अमरोहा : प्रतिभा के लिए उम्र मायने नहीं रखती। यह साबित किया है गांव मेहम्दी माफी निवासी रामपाल यादव ने। बीती 27 से 30 नवंबर तक बनारस में संपन्न हुई राष्ट्रीय मास्टर एथलीट प्रतियोगिता में रामपाल यादव ने 15 सौ मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। अब उन्हें जून 2022 में जापान के टोक्यो में होने वाली अंतरराष्ट्रीय मास्टर एथलीट प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने का मौका मिला है। इसके साथ ही अमरोहा के मुहल्ला मुल्लाना निवासी शुमायला जावेद ने भी 100 मीटर बाधा दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल कर जापान में खेलने का अवसर हासिल किया है। आवास विकास कालोनी निवासी चक्का फेंक खिलाड़ी ममता चौधरी भी जापान जाएंगी। तीनों लोग विषम परिस्थितियों में अपने जुनून के साथ सफलता की सीढि़यां चढ़ रहे हैं। रामपाल सिंह उम्र के इस पड़ाव में युवाओं को टक्कर दे रहे हैं तो शुमायला व ममता घर परिवार संभालने के साथ ही देश के नाम रौशन करने की ललक मन में लिए आगे बढ़ रही हैं।

रामपाल यादव अपनी युवावस्था से ही दौड़ लगाने के शौकीन रहे हैं। सुबह चार बजे बिस्तर छोड़ने वाले रामपाल प्रतिदिन छह किमी. दौड़ लगाते हैं। साथ ही वह गांव के बच्चों को भी दौड़ लगवाते हैं। उन्होंने बताया कि गांव खंडसाल कलां निवासी उनके मित्र लाखन सिंह ने उन्हें मास्टर एथली प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया था। लाखन सिंह ने ही उन्हें बीती 28 फरवरी को 60 वर्ष आयु वर्ग में प्रदेश स्तर पर प्रतिभाग कराया था। वहां स्वर्ण पदक जीत कर उन्होंने राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए प्रतिभाग किया। जहां से उनका चयन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है। - रामपाल सिंह यादव शुमायला जावेद का यहां तक का सफर काफी परेशानी भरा रहा है। नगर पालिका से सेवानिवृत्त जावेद इकबाल की बेटी शुमायला ने स्कूल स्तर से गोला फेंक में करियर शुरू किया था। उन्होंने पूर्व में भी राज्य स्तर पर कई प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया है। बाद में शादी होने के बाद खेल से दूरी बना ली। परंतु पारिवारिक विवाद के चलते वह अलग-थलग पड़ गई। पति द्वारा तीन तलाक दे दिया गया। परंतु शुमायला ने खुद को कमजोर नहीं होने दिया। बेटी की परवरिश के साथ शिक्षा विभाग में संविदा कर्मी के तौर कर नौकरी करती रहीं तथा अभ्यास भी जारी रखा। अब उन्होंने गोला फेंक के साथ बाधा दौड़ में आगे बढ़ने की ठानी। तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए शुमायला को आखिरकार अंतर राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिल ही गया। - शुमायला जावेद ममता चौधरी के पति सेना में हैं तथा देश सेवा कर रहे हैं। स्कूल के समय से ही चक्का फेंक खेलने वाली ममता चौधरी भी पूर्व में राज्य स्तर पर प्रतिभाग कर चुकी हैं। शादी के बाद उनकी तैयारियों को भी ब्रेक लग गया था। परंतु पति ने हौसला बढ़ाया तो ममता ने फिर से मुश्किलों को दूर फेंकने की ठान ली। अभ्यास शुरू कर दिया। अच्छी बात तो यह है कि ममता किसी से कोचिग नहीं लेतीं। बल्कि प्रतिदिन मिनी स्टेडियम में जाकर खुद ही अभ्यास करती हैं। परिवार में दो बच्चों की परवरिश भी बेहतर ढंग से कर रही हैं। अब जापान में होने वाली अंतर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया तो उनकी मेहनत रंग ले आई।- ममता चौधरी अंतरराष्ट्रीय मास्टर एथलीट प्रतियोगिता के लिए जिले के तीन खिलाड़ियों का चयन हुआ है। तीनों खिलाड़ी मई 2022 को जापान रवाना होंगे तथा वहां जून में होने वाली प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इंडिया मास्टर एथलीट एसोसिएशन द्वारा खिलाड़ियों को जापान भेजा जाएगा। यह जिले के लिए गर्व की बात है।

लाखन सिंह, जिलाध्यक्ष जिला मास्टर एथलीट एसोसिएशन। जिले के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। खिलाड़ियों के लिए अग्रिम शुभकामनाएं। अन्य खिलाड़ियों के लिए यह प्रेरणास्त्रोत हैं। जिला प्रशासन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए हरसंभव मदद करेगा। नूर हसन, जिला क्रीड़ा अधिकारी।

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