युवा भी भेड़ पालन से कमा रहे पैसा
अमेठी (कृष्ण कुमार मिश्र) पुरानी परम्पराओं को जीवित रखने के साथ ही गडरिया समाज के
अमेठी (कृष्ण कुमार मिश्र) : पुरानी परम्पराओं को जीवित रखने के साथ ही गडरिया समाज के लोग भेड़ पालन से अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। यहीं वजह है कि गड़रिया समाज आज भी अपने पुस्तैनी व्यवसाय को मजबूती से पकड़े हुए है। युवा भी भेड़ पालन को तरजीह दी रहे हैं और सैकड़ों की संख्या में भेड़ पालकर न केवल अपनी पुस्तैनी परंपरा को बरकरार रखे हुए हैं। बल्कि वह इनसे अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं। अमेठी संसदीय क्षेत्र के हलियापुर के आस-पास भेड़ पालक आज भी सैकड़ों भेड़ लेकर महीनों घर से बाहर रहते हैं। नवंबर महीने में यह अपनी भेड़ें लेकर घर से निकलते हैं। दिसंबर के अंत तक वापस आते हैं। -होता है लाभ
इन्हें भेड़ों से कई तरह से लाभ है। इनके बालों को काटकर बेचते हैं। कमरी भी बनाते हैं। राम आधार गड़रिया की मानें तो वह आज भी दो सौ से तीन सौ तक में एक कमरी बेच लेते हैं। दूसरा लाभ यह भी है कि किसान तीन से चार सौ रुपये बीघा की कीमत चुका कर भेड़ों को अपने खेतों में बिठाकर उसकी उर्वरा शक्ति बढ़वाते हैं। इतना ही नहीं लोग भेड़ का मांस भी खाते हैं। एक भेड़ 10 से 15 हजार रुपये तक में बिकता है। -यह है मान्यता
ग्रामीण राजाराम का कहना है कि जिस खेत में भेड़ बैठवा दो उसमें जो भी फसल बोओ दोगुनी पैदावार होती है। इसी फायदे से समाज में आज भी खेतों में भेड़ बैठवाने की परंपरा है। -दो महीने का रहता है भ्रमण
सैकड़ों भेड़ियों के झुंड में शामिल मेड़ी लाल गड़रिया कहते हैं कि वह प्रति वर्ष दो महीने के भ्रमण पर रहते हैं। इस दौरान उनकी कमाई भी हो जाती है। वह चार पांच लोगों का कुनबा बनाकर न जाने कितने गांवों का भ्रमण कर डालते हैं।