पौधारोपण व जैव विविधता से जल संरक्षण संभव

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से कैच द रेन परियोजना के अंतर्गत नेहरू योजना का शुभारंभ हुआ था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Mar 2021 11:04 PM (IST) Updated:Thu, 11 Mar 2021 11:04 PM (IST)
पौधारोपण व जैव विविधता  से जल संरक्षण संभव
पौधारोपण व जैव विविधता से जल संरक्षण संभव

अमेठी : भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से कैच द रेन परियोजना के अंतर्गत नेहरू युवा केंद्र की ओर से पर्यावरण प्रबंधन एवं जल संरक्षण के उपाय विषय पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि अमेठी जल बिरादरी के संयोजक डॉ. अर्जुन पांडेय ने कहा कि पर्यावरण प्रबंधन हेतु प्रकृति द्वारा उपहार स्वरूप प्राप्त वस्तुएं, जो कि प्रकृति के सौंदर्य के रूप में हमें प्राप्त हैं। इन्हें बचाए रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। किसी इलाके का अच्छा जल प्रबंधन पौधारोपण एवं जैव विविधता के द्वारा ही संभव है। वृक्ष एक तरफ जहां वर्षा के जल को अपनी जड़ों के माध्यम से धरती के पेट में डालने का काम करते हैं। पंचवटी के पीपल, बरगद, गूलर, पाकड़ , एवं नीम आदि के पेड़ विशेष कारगर हैं। मालती एवं उज्जयिनी नदी का सरकारी अभिलेखों में नाम चढ़ना जरूरी है। समाजशास्त्री डॉ. धनन्जय सिंह ने जल के संकट की वैश्विक एवं स्थानीय तस्वीर के प्रति आगाह करते हुए कहा कि जल साक्षरता का अभियान जन-जन के बीच ले जाने की जरूरत है। जल संरक्षण हेतु समाज एवं राजतंत्र दोनों की भागीदारी करना आवश्यक है। शौचालयों का निर्माण जल श्रोतों से दूर रखा जाए। जल की कीमत समझना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है।

शारदा सहायक अभियंता शत्रुघ्न कुरील ने कहा कि जल प्रदूषण का तेजी के साथ बढ़ना सेहत के लिए खतरनाक है। यदि समय से न चेते तो किडनी, लीवर एवं दाग की बीमारी के शिकार होंगे। पानी के प्रयोग के पुराने तरीके ज्यादा लाभदायक रहे हैं।

जिला युवा अधिकारी डॉ. आराधना राज ने कहा कि नदी, नीर एवं नारी का रिश्ता पुराना है। पुरुषों के साथ स्त्रियों का जल संचयन के प्रति भागीदारी करना अपरिहार्य है। जल साक्षरता का अभियान जन-जन के बीच ले जाने की जरूरत है।

chat bot
आपका साथी