कृष्ण जन्मोत्सव का वृतांत सुनकर भावभिवोर हुए श्रद्धालु
मेदन मवई गांव में चल रही आध्यात्ममयी श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए लोग उमड़ रह हैं।
अमेठी : मेदन मवई गांव में नौ दिवसीय आध्यात्ममयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव चल रहा है। कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव व सातवें दिन श्रीगोवर्धन पूजा का वृतांत सुनाया गया। कथा सुनने के लिए पास-पड़ोस के साथ ही दूर-दराज के ग्रामीण पहुंच रहे है। जगदगुरू रामानुजाचार्य उत्तराखंड पीठाधीश्वर स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज के मुखार बिन्दुओं से श्रीकृष्ण के जन्म का वृतांत सुन श्रद्धालु भावविभोर हो गए। वहीं जन्मोत्वस पर निकाली गई झांकी में श्रीकृष्ण के रूप में नन्हा बालक सभी श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करता दिखा। जन्मोत्सव अवसर पर पूरे परिसर में भगवान श्रीकृष्ण की जय जयकारों से वातावरण गूंजायमान हुआ। श्रीकृष्ण जन्म का वृतांत सुनाते हुए स्वामी कृष्णाचार्य जी महाराज ने कहा कि कंस के कारागार में कैद देवकी और वासुदेव ने सात पुत्रों को जन्म दिया। उसके बाद आठवें पुत्र के रूप में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। जन्म लेने के बाद कारावास के सभी ताले अपने आप टूट गए। देवकी के कहने पर वासुदेव ने यमुना नदी को पार करके यशोदा के घर गोकुल पहुंचा दिया। यशाोदा के घर जन्मी पुत्री को लेकर वासुदेव वापस कारागार पहुंच गए। जब कंस को देवकी से आठवीं संतान के जन्म देने के बारे में जानकारी हुई, तो कंस ने तुरन्त ही अपने सैनिकों से आठवीं संतान को बुलवा लिया। कंस ने आठवीं संतान को मारने के लिए उसे हवा में उछाला। तो देवी का रूप बनकर कंस से बोली कि अरे मूर्ख तू मुझे क्या मारेगा। तुझे मारने वाला इस धरती पर जन्म ले चुका है।