अव्यवस्था का शिकार राजकीय पशु चिकित्सालय
पशु पालक किसान परेशान कैसे हो मवेशियों का इलाज।
संवादसूत्र, बाजार शुकुल, (अमेठी) : राजकीय पशु चिकित्सालय में चिकित्सक की नियुक्ति तो हुई है, लेकिन वह अस्पताल नहीं आते। ऐसे में पशुपालकों के मवेशियों का इलाज ऊपर वाले के भरोसे है। यहां अपने मवेशी लेकर आने वाले पशुपालकों को बैरंग ही लौटना पड़ता है। मवेशियों के स्वास्थ्य सुविधा के लिए यहां दो राजकीय पशु चिकित्सालय फुंदनपुर व बाजार शुकुल हैं। इनमें चिकित्सक तो नियुक्त हैं पर फार्मासिस्ट की नियुक्ति नहीं है। पिछले दो दशक हो गए यहां फार्मासिस्ट का पद रिक्त पड़ा है। अव्यवस्था का शिकार यह अस्पताल मवेशियों की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहा है। यहां एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति है। जो अस्पताल खोलकर बैठा रहता है। डा. जावेद अहमद की यहां बतौर पशु चिकित्सासाधिकारी नियुक्ति है। जो सप्ताह में एक दिन ही यहां आते हैं।
-गंदगी का है अंबार
अस्पताल परिसर में गंदगी का अंबार लगा है। यहां फार्मासिस्ट कक्ष के सामने पान मसाला की पीक व कूड़े का ढेर ही इसकी पहचान है। चिकित्साधिकारी कक्ष सदैव बंद ही रहता है। यहां कोई भी उनके बारे में पूछे एक ही उत्तर मिलता है। साहब कहीं गए हैं आते ही होंगे।
- जर्जर हो गए आवास
परिसर में बने चिकित्सक व स्टाफ आवास जर्जर हो गए हैं। कभी यहां अस्पताल का स्टाफ रहता था। अब यह भवन जंगली जानवरों का आशियाना बनकर रह गए हैं। तमाम सरकारें आईं और गईं फिर भी इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। किसी जनप्रतिनिधि ने भी इसकी ओर नहीं देखा।
- इनकी भी सुनिए
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. जेपी सिंह कहते हैं कि आकस्मिक निरीक्षण कर लापरवाह पशु चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।