नौ की जगह दो चिकित्सकों के सहारे अस्पताल
गांव में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बाजारशुकुल सीएचसी। डॉक्टर व स्टाफ की कमी से नहीं हो रहा ठीक से उपचार।
केके मिश्र अमेठी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होते हुए भी यहां सुविधाओं का अभाव है। जो सरकारी दावों को आईना दिखा रहा है। नौ चिकित्सकों की जगह मात्र दो डॉक्टर से ही काम चलाया जा रहा है। महिला चिकित्सक की तैनाती न होने से महिला रोगियों को निजी चिकित्सकों की मदद लेनी पड़ती है। स्वास्थ्य केंद्र की अस्त व्यस्त व्यवस्था पहचान बन गई है। यहां वार्ड ब्वाय व स्वीपर के दो दो पद सृजित हैं। किन्तु तैनाती मात्र एक एक है। एएनएम के 18 पदों के सापेक्ष महज 14 की नियुक्ति है। चार उपकेंद्र खाली पड़े हैं। कोविड- 19 का वैक्सिनेशन चल रहा है। एएनएम के न होने से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सीएचओ को टीकाकरण में लगाया गया है। अभिलेखों का रखरखाव के लिए सृजित लिपिक का पद पिछले कई वर्षों से खाली पड़ा है।
नहीं है एक्स-रे मशीन :
सीएचसी होते होने के बाद भी अभी तक एक्स रे मशीन की सुविधा मरीजों के लिए नहीं है। तैनात एक्स-रे टेक्नीशियन बिना काम के दाम ले रहा है। एक्स-रे मशीन की खरीद हुई या नहीं यह जांच का विषय है। दो वर्ष पहले विभाग ने इस पर काफी माथा पच्ची की थी। फिर भी कोई निष्कर्ष आज तक नहीं निकल सका है।
शोपीस बनी पानी की टंकी :
परिसर में बनी पानी की टंकी आज तक जलापूर्ति नहीं कर सकी है। कारण कुछ भी हो कितु स्वास्थ्य कर्मियों को पिछले एक दशक से हैंडपंप का पानी पीना मजबूरी है।
बंद है ओपीडी :
कोरोना संक्रमण को देखते हुए काफी समय से अस्पताल की ओपीडी बंद है। गंभीर मरीजों को आकस्मिक चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। तैनात चिकित्सकों की क्रमवार कोविड -19 में ड्यूटी लगने से एक ही चिकित्सक अस्पताल में इलाज के लिए मौजूद रहता है। सोमवार को इस सेवा के लिए सत्थिन पीएचसी के चिकित्साधिकारी डॉ. राजेंद्र प्रसाद की मदद लेनी पड़ी।
इनकी भी सुनिए :
सीएचसी अधीक्षक बाजारशुकुल डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि स्टाफ की कमी है। फिर भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने का प्रयास रहता है। पानी की टंकी बनकर विभाग को हस्तांतरित है, कितु चल नहीं रही। अस्पताल में आकस्मिक व कोविड की दवाएं उपलब्ध हैं।