संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें किसान
-कृषि विज्ञान केंद्र कठौरा के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किसानों को दिया सुझाव
अमेठी : जिले के अधिकतर क्षेत्रों में गेहूं की बोआई पूर्ण होने वाली है। वहीं कुछ क्षेत्रों में बोआई देर से होने की संभावना है। क्योंकि इन क्षेत्रों में लंबी अवधि की प्रजातियों के कारण धान की कटाई देर से हो रही है। खेत में ज्यादा नमी है, ऐसी परिस्थिति में देर से बोआई के कारण फसल के उत्पादन में कमी आ सकती है।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कठौरा के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके आनंद ने किसानों को सुझाव दिया है। यदि किन्हीं कारणों से गेहूं की बोआई 30 नवंबर के बाद होने की संभावना है, तो विलंब से बोई जाने वाली प्रजातियों का चयन करें। इसके लिए एचडी 3118, एचडी 3059, एचडी 26343, डीबी डब्ल्यू 14, डीबी डब्ल्यू 16, एनडब्ल्यू 1014, एचयूडब्ल्यू 234 आदि प्रजातियों का चयन करें। साथ ही बोआई के समय संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें। जहां तक संभव हो सीड ड्रिल या सुपर सीडर मशीन द्वारा लाइन से बोआई करें। बोआई के दौरान 45 किलोग्राम यूरिया, 50 किलोग्राम डीएपी तथा 25 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ प्रयोग करें। डीएपी उपलब्ध न होने की स्थिति में एनपीके की 80 किलोग्राम मात्रा तथा 30 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ का प्रयोग कर सकते हैं।
-समय से करें सिचाई
गेहूं में क्रांतिक अवस्थाओं में सिचाई का विशेष योगदान है। सबसे प्रमुख क्रांतिक अवस्था बोआई के 22 से 25 दिन के बाद आती है। इसे ताजा मूल अवस्था कहते हैं। इस समय सिचाई न करने से उत्पादन प्रभावित होता है। जिन खेतों में नवंबर के प्रारंभ में बोआई हुई थी। उसमें अब सिचाई की जरूरत आ चुकी है।
करें खरपतवार नियंत्रण
गेंहू की फसल में बुआई के 22 से 28 दिन के बाद खरपतवार नाशक रसायनों द्वारा चौड़ी एवं पतली पत्ती की खरपतवारों को खत्म करना चाहिए इसके लिए सल्फ्यूरान 75 प्रतिशत, मेट सल्फ्यूरान मिथाइल पांच प्रतिशत डब्ल्यूजी की 16 ग्राम मात्रा (एक यूनिट) प्रति एकड़ का प्रयोग किया जा सकता है।