बारिश व तेज धूप से किसानों की सपने हुए बर्बाद
-मौसम की मार से किसान बेहाल कई वर्षों बाद सितंबर माह में हुई इतनी बारिश - पानी में डूबे खेतों में सड़ रही फसल तार-तार हुई उम्मीदें
अमेठी : धान की फसल इस बार अच्छी थी। अचानक पहले तेज बारिश व उसके बाद तेज धूप से पानी-पानी हुए खेतों में ही फसल बर्बाद होने लगी है। फसल की बर्बादी के साथ किसानों के सपने भी पानी-पानी हो गए है। कई वर्ष बाद सितंबर माह में इतनी बारिश हुई है। बारिश थमने के बाद सप्ताह भर से हो रही तेज धूप खेत में धान के पौधों को सड़ाने में सहायक बनी। नालों व ड्रेनों की सफाई नहीं होने से अब भी खेतों में पानी भरा हुआ है। सिस्टम के बाद मौसम की दोहरी मार ने तो किसान को तोड़कर रख दिया है।
- सबसे अधिक भूखंड में होती है धान की खेती
जिले में सबसे अधिक भूखंड में धान की खेती होती है। सरकारी आकड़ों के मुताबिक साढे तीन लाख किसानों में ढाई लाख से अधिक किसान धान की खेती करते हैं। गौरीगंज, तिलोई व अमेठी तहसील के किसान पूरी तरह धान की उपज पर ही निर्भर रहते हैं। यहां के किसान मंसूरी धान की प्रजाति की अच्छी उपज लेते हैं। जबकि मुसाफिरखाना तहसील गोमती नदी के किनारे होने के चलते यहां के किसान कम समय में होने वाली धान की फसल ही अपने खेतों में लगाते हैं।
-किसानों की वर्तमान स्थिति
जिले में कुल किसान 3,86,981 हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए 3,33,466 किसानों ने पंजीकरण करवाया है और 2,89, 737 किसानों को किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है।
-एक एकड़ पर आने वाला खर्च
एक बोरी डीएपी : 1250
दो बोरी यूरिया : 500
दवा : 1000
जोताई : 2400
बीज : 200
रोपाई : 1200
सिचाई : 2000
कटाई : 2000
कुल खर्च : 10450
- पैदावार
अनुमानित : 20 कुंतल
कीमत : 24 हजार रुपये
-कहीं से नुकसान की नहीं आई शिकायत
जिले में कहीं से अभी तक धान की फसल डूबे होने की शिकायत नहीं आई है। अगर बारिश व धूप से फसल को नुकसान हुआ है तो इसका सही-सही आकलन करवाने के लिए सभी उपजिलाधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।
अरुण कुमार डीएम, अमेठी