राजीव के साथ अमेठी आए थे कैप्टन सतीश शर्मा

कैप्टन ने अमेठी के रास्ते ही तय किया सियासत का हर सफर। राजीव गांधी की हत्या के बाद अमेठी से पहली बार 1991 में बने सांसद। आम चुनाव 1996 में दर्ज की जीत तो 98 के चुनाव में मिली थी हार।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Feb 2021 11:48 PM (IST) Updated:Thu, 18 Feb 2021 11:48 PM (IST)
राजीव के साथ अमेठी आए थे कैप्टन सतीश शर्मा
राजीव के साथ अमेठी आए थे कैप्टन सतीश शर्मा

दिलीप सिंह, अमेठी

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ अमेठी आए कैप्टन सतीश शर्मा का यहां से अंत समय तक जुड़ाव बना रहा। सांसद प्रतिनिधि, फिर सांसद व मंत्री तक सफर उन्होंने अमेठी के रास्ते ही तय किया। राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने राजनीति से दूरी बनाई तो कैप्टन सतीश शर्मा को ही राजीव गांधी के निधन से रिक्त हुई अमेठी सीट से पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया। 1991 में हुए उप चुनाव में कैप्टन पहली बार अमेठी से सांसद बने और केंद्र की सरकार में मंत्री भी। 1996 के आम चुनाव में कैप्टन ने दूसरी बार अमेठी से जीत दर्ज की। लेकिन, 1998 में हुए आम चुनाव में कैप्टन सतीश शर्मा को भाजपा के डा. संजय सिंह ने हराकर जीत दर्ज की। 1999 में जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी राजनीति में सक्रिय हुई और अमेठी सीट से चुनाव मैदान में उतरीं तो कैप्टन सतीश शर्मा को रायबरेली सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया। रायबरेली में काफी समय से हार का सामना कर रही कांग्रेस को कैप्टन शर्मा ने जीत दिलाई। कैप्टन सतीश शर्मा ने ही रायबरेली में दोबारा कांग्रेस के जीत की शुरुआत की। जो अब तक कायम है।

घर-घर पहुंचाया गैस सिलेंडर, गली-गली खुले पेट्रोल पंप :

पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए कैप्टन सतीश शर्मा ने अमेठी के घर-घर में गैस सिलेंडर पहुंचाने की व्यवस्था की थी। उनके ही कार्यकाल में यहां गली-गली गैस एजेंसी व पेट्रोल पंप भी खुले। इतना ही नहीं अमेठी के जायस में स्थापित राजीव गांधी पेट्रोलियम संस्थान का सपना भी कैप्टन शर्मा ने देखा था। वह, यहां रिफाइनरी लगवाना चाहते थे। मंत्री रहते हुए उन्होंने जायस में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव इसकी आधारशिला भी रखवाई थी।

हर किसी के लिए रहते थे फिक्रमंद :

कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष योगेंद्र मिश्र कहते हैं कि कैप्टन सतीश शर्मा हर किसी के लिए हमेशा फिक्रमंद रहते थे। अमेठी के विकास के लिए उन्होंने बहुत काम किया। वह हमेशा गांधी-नेहरु परिवार के करीब रहे।

1984 में पहली बार आए थे कैप्टन :

कैप्टन सतीश शर्मा 1984 में पहली बार राजीव गांधी के साथ अमेठी उनके चुनाव प्रचार में आए थे। इस चुनाव में राजीव गांधी के मुकाबले मेनका गांधी मैदान में थी। राजीव की जीत के बाद कैप्टन उनके प्रतिनिधि बने।

सीधी बात करते थे कैप्टन :

कैप्टन शर्मा के साथ कांग्रेस में सक्रिय लोग कहते हैं कि वह हमेशा सीधी बात करते थे। कांग्रेस के प्रवक्ता डा. अरविद्र चतुर्वेदी कहते हैं कि कैप्टन साहब लाग लपेट वाली बात न करते थे और न ही उन्हें वह प्रसंद ही थी। गौरीगंज के ब्लाक अध्यक्ष अवनीश मिश्र सेनानी कहते हैं कि कैप्टन को अपने कार्यकर्ताओं की हमेशा फिक्र रहती थी।

हमेशा रहे परिवार के साथ :

सांसद व मंत्री बनने के बाद भी कैप्टन सतीश शर्मा में अमेठी व गांधी-नेहरु परिवार को लेकर कोई बदलाव नहीं आया। वह हमेशा दोनो के साथ वैसे ही खड़े रहे। जैसे वह राजीव गांधी के जीवन काल में थे। कैप्टन शर्मा के निधन से हर कोई दुखी है। कांग्रेस के साथ ही दूसरे दल के लोग भी उनकी सीधी व साफ बात के कायल थे।

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