बायोफ्लॉक का कमाल, मछली पालन से हो रहे मालामाल
नई तकनीक से मछली पालन करने वाले जीशान जिले के पहले किसान बने।
अग्निवेश मिश्र, अमेठी
ब्लॉक के गांव सातनपुरवा निवासी युवा किसान मो. जीशान ने मछली पालकों के सामने मिशाल कायम की हैं। वकालत छोड़कर जीशान ने बिहार में एक दिवसीय प्रशिक्षण के बाद बिना तालाब खोदे बॉयोफ्लॉक विधि से मछली पालन का काम शुरू किया है। वे जिले के ऐसे पहले किसान हैं, जिन्होंने इस आधुनिक तकनीक को अपनाया है। इस विधि से कम खर्च, कम चारा, कम जगह और कम पानी में मछली का ज्यादा उत्पादन हो रहा है। जीशान ने गांव में ही अपनी जमीन पर 10 हजार लीटर छमता वाले 15 टैंक लगाए हैं। सरकारी इमदाद के बगैर कम लागत से एक टैंक से साल भर में तकरीबन दस कुंतल से अधिक मछली का उत्पादन कर आर्थिक रूप से मालामाल हो रहे हैं। उन्होंने टैंक में सिधी, पंगास, तिलापिया व देसी मांगुर प्रजाति की मछलियों का जीरा डाला है। स्वरोजगार अपना कर मेहनत और लगन के बलबूते प्रदेश के गिनेचुने मछली उत्पादकों में उन्होंने अपना नाम दर्ज कराया है।
मद्रासी व गुजराती दाना के साथ ऑक्सीजन की व्यवस्था भी :
जीशान ने बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन के लिए पूरी व्यवस्था कर रखा है। मद्रास और गुजरात में बना पोषक तत्वों से भरपूर दाना मंगाकर वे मछलियों को खिलाते हैं। इसके अलावा मछलियों को पानी के भीतर सांस लेने में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए पाइप लाइन बिछाकर मशीन द्वारा प्रत्येक टैंक में ऑक्सीजन की पूर्ति भी करते हैं। एक टैंक को तैयार करने में पहली बार 20 से 22 हजार रुपये का खर्च आता है। जीशान कहते हैं कि अगर सरकारी मदद मिल जाए तो इस व्यवसाय को अधिक बढ़ाया जा सकता हैं।
मंडियों के चक्कर लगाने से फुरसत :
जीशान को उत्पाद बेचने के लिए मंडियों तक नहीं जाना पड़ता। इससे मालभाड़ा आदि की बचत भी हो रही है। लखनऊ,सुलतानपुर व रायबरेली जनपद के साथ ही स्थानीय मछली व्यवसायी गांव पहुंच नकद मूल्य पर मछलियां खरीद कर दूर दराज की मंडियों में बेचते हैं।
कृषि केंद्र प्रभारी, सिंहपुर पवन वर्मा ने बताया कि आधुनिक विधि से मछली पालन की जानकारी शासन स्तर पर भेजकर मछली उत्पादक किसान को प्रोत्साहित कराया जाएगा।