'मुखौटे' के सहारे सियासी ताकत मजबूत करने की कोशिश

पंचायत चुनाव हर जगह बस गंवई सरकार पर हो रही बहस - आकाओं की सरपरस्ती में गांव-गांव हो रही मोहरों की लड़ाई

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 12:32 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 12:32 AM (IST)
'मुखौटे' के सहारे सियासी ताकत मजबूत करने की कोशिश
'मुखौटे' के सहारे सियासी ताकत मजबूत करने की कोशिश

दिलीप सिंह, अमेठी : तिलोई हो या अमेठी। यहां सियासत की जड़े बहुत मजबूत हैं। राजनीति के बढ़े गढ़ में गंवई सत्ता में खेमेबंदी के सहारे बड़ों ने अपनी ताकत मजबूत करने की कोशिश तेज कर दी है। यहां चुनावी रण में उतरे मोहरों से अधिक प्रतिष्ठा उन लोगों की लगी है। जो मैदान से बाहर रहकर मैदान जीतने की जुगत में दिन रात एक किए हुए हैं। चेहरों पर लगे मुखौटे गोड़धराई की रश्म को पूरा कर रहे हैं तो उनके पीछे खड़े सियासत के दिग्गज दाना-पानी देने में पीछे नहीं हैं।

21 लाख 78 हजार 472 की आबादी वाला जिला अमेठी चार तहसील व 13 विकास क्षेत्रों में फैला हुआ है। इस पूरे भाग पर गौरीगंज को छोड़ दिया जाय तो भाजपा का ही कब्जा है। इस पंचायत चुनाव में केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति ईरानी की सक्रियता से भाजपा के सूरमाओं को एक नई ताकत मिली है। पहली बार भाजपा जिले के सभी 36 जिला पंचायत वार्डों में अपने उम्मीदवार मैदान में उतार रखें हैं। वार्ड नंबर 30 से चुनावी रण में उतारे व्यवसाई व समाजसेवी राजेश अग्रहरि की अगुवाई में पार्टी पूरी ताकत से एक-एक सीट जीतने के लिए लड़ रही है तो सपा के चुनावी योद्धा भी गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह के पीछे खड़े हैं। राकेश ने अपने दो भाई मुकेश प्रताप सिंह व उमेश प्रताप सिंह के साथ पत्नी शीलम सिंह को मैदान में उतार रखा है। तिलोई विधायक व पूर्व मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, जगदीशपुर विधायक व मंत्री सुरेश पासी के साथ ही अमेठी विधायक गरिमा सिंह भी केंद्रीय मंत्री स्मृति के साथ मिलकर भाजपा के जिला पंचायत सदस्य पद के उम्मीदवारों को ताकत प्रदान कर रहीं है। भाजपा के महारथियों को भी इस बात का पूरा आभास है कि इस बार नहीं तो फिर कभी नहीं, वाली इस लड़ाई में उनकी ताकत क्या है। तभी तो बड़े नामों के सहारे लड़ाई दिलचस्प बनी हुई है। कांग्रेस भी अपनी खोई ताकत के लिए जूझ रही है तो बसपा भी अपना प्रभाव पंचायत चुनाव के सहारे बढ़ाने की कोशिश में लगी है। निर्दल भी गंवई सियासत की इस लड़ाई में बड़े सूरमाओं को घेरे रखने में पीछे नहीं हैं।

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