दो से तीन कमरों में चलती पांच व आठ तक की कक्षाएं
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अंबेडकरनगर : परिषदीय विद्यालयों में दो से तीन कमरों में पांच तथा आठ तक की कक्षाओं के संचालन को लेकर सवाल उठना लाजमी है। मानक के अनुसार गुणवत्तापरक शिक्षा दिलाए जाने का दावा यहां खोखला साबित होने लगता है। प्रत्येक कक्षाओं के संचालन को लेकर कमरों की कमी अध्ययनरत नौनिहालों की शिक्षा में बाधक बना है। जलालपुर शिक्षाक्षेत्र में कई दर्जन विद्यालय ऐसे भी है, जहां बच्चों के पढ़ने के लिए अलग-अलग कमरे ही नहीं है। शिक्षकों को एक ही कमरे ही अलग-अलग क्लास के बच्चों को पढ़ाना विवशता है। इससे इतर तमाम विद्यालयों में बनाए गए अतिरिक्त कक्षों में अभी तक ताला ही लटका रह गया है। इसके पीछे निर्माण के दौरान मानक और जरूरत को लेकर अनदेखी बरतना है। विभागीय उदासीनता के चलते कक्षाओं की समस्या बरकारार है।
प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को अलग-अलग कमरे में बैठाकर पढ़ाई होनी चाहिए। रुधौली अदाई, सुरहुरपुर द्वितीय, आजनपारा तथा हाजीपुर, जेल्हवा, बाहापुर, हरिपालपुर, बसिया, पटौहा गानेपुर, खालिसपुर भटौली, खानपुर उमरन, बीबीपुर भुसौली, अवधना इस्माइलपुर समेत दो दर्जन ऐसे विद्यालय है। यहां महज दो से तीन कमरे ही हैं। यहां अध्ययनरत बच्चों को कमरों की कमी के चलते शिक्षक अलग-अलग क्लासों के बच्चों को एक ही कमरे में बैठाकर पढ़ाने को विवश हैं। इससे इतर मालीपुर, भदोई, हाजीपुर, सुरहुरपुर प्रथम, मंसूरपुर, बरौली आशानंदपुर, ताहापुर, कालेपुर महुवल, सैरपुर उमरन एवं डीघी, जगतुपुर समेत दो दर्जन से अधिक विद्यालय में आवश्यकता से अधिक अतिरिक्त कक्षों का निर्माण हुआ है। इन कक्षों में पढ़ाई दूर निर्माण होने के बाद ताला ही नहीं खोला गया है। प्राथमिक विद्यालय पटौहा गानेपुर में महज दो कमरे का विद्यालय है। शिक्षक कक्ष के कमी के चलते बच्चों को पढ़ने में दिक्कतों को देख अध्यापकों ने अपने निजी धनराशि से एक कमरे का निर्माण कराया। प्राथमिक विद्यालय बाहापुर तीन कमरे का विद्यालय है, जहां बच्चों के बैठने की समुचित व्यवस्था का अभाव है। खंड शिक्षा अधिकारी केपी सिंह ने बताया कि छात्रों के लिए कक्षा कक्षों का निर्माण कराया गया है। कुछ स्थानों पर दिक्कत है। इसके बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।