बच्चों की खिलखिलाहट से विद्यालयों में लौटी बहार

जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीणांचल तक सोमवार को परिषदीय विद्यालयों में उत्सव जैसा महौल रहा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 10:26 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 10:26 PM (IST)
बच्चों की खिलखिलाहट से विद्यालयों में लौटी बहार
बच्चों की खिलखिलाहट से विद्यालयों में लौटी बहार

अंबेडकरनगर: जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीणांचल तक सोमवार को परिषदीय विद्यालयों में उत्सव जैसा माहौल रहा। एक साल बाद खुले विद्यालय नौनिहालों के स्वागत के लिए सजधज कर तैयार दिखे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के साथ सभी बीईओ और विद्यालय के शिक्षक बाहर खड़े होकर नौनिहालों का तालियों की गडगड़ाहट और फूलों की बारिश के साथ जोरदार स्वागत किया। शिक्षकों ने बच्चों का तिलक कर उन पर फूल बरसाए। मालाएं पहनाकर उनका अभिनंदन किया। विद्यालयों के अंदर से बाहर तक फूलों की सुगंध मन मोह रही थी। लंबे अर्से बाद बच्चे एक दूसरे से मिले तो खुशी से उछल पड़े। थोड़ी मस्ती और थोड़ी शरारत के बाद बच्चों ने कक्षा में मन लगाकर पढ़ाई शुरू की। सोमवार को जागरण की पड़ताल में सभी स्कूलों में कमोबेश यही नजारा देखने को मिला।

स्थान: प्राथमिक विद्यालय अकबरपुर, समय-सुबह साढ़े दस बजे

किसी दुल्हन के स्वागत की तैयारियों के मानिद विद्यालय का मुख्य द्वार फूलों और गुब्बारों से सजा था। अंदर प्रवेश करने पर बीईओ अकबरपुर वीरेंद्र द्विवेदी के साथ जिला समन्वयक प्रशिक्षण सुरेश तिवारी पेड़ के नीचे कुर्सी पर बैठे मिले। कैमरे की चमक देख प्रधानाचार्य रमेश वर्मा बाहर निकल आए। कक्षा पांच की क्लास चल रही थी। शिक्षक निधि त्रिपाठी स्वत: बनाए गए वर्ड बाइस्कोप के माध्यम से बच्चों को पढ़ा रही थीं। आगे बढ़ने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गीता त्रिपाठी और सहायक रेनू चार बच्चों को पढ़ा रही थीं। अगले कमरे में कक्षा एक के बच्चों को शिक्षिका प्रतिमा और शुद्धि एवं प्रशिक्षु शिक्षक ज्योति गुप्ता पढ़ाने में मशगूल थीं। सभी ने मास्क लगा रखे थे।

स्थान : प्राथमिक विद्यालय अब्दुल्लापुर, समय-सुबह 10:45 बजे

प्रधानाचार्य कविता सिंह रसोइयों को निर्देश देती मिलीं। रसोइया शिमला देवी, राजपति देवी के साथ रोटी-सब्जी बनाने की तैयारी कर रही थीं। यहां कक्षा एक में 15 और कक्षा पांच में 16 बच्चे मौजूद मिले। सभी जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे। बच्चों के बीच उचित दूरी देखने को मिली। विद्यालय में बाउंड्रीवाल नहीं है। बच्चों की संख्या पंजीकरण के लिहाज से काफी कम दिखी। महज दो कमरे में कक्षा एक से लेकर पांच तक की कक्षाओं का संचालन होता मिला।

स्थान: प्राथमिक विद्यालय सिझौली, समय-सुबह 11 बजे

अंग्रेजी मीडियम के इस स्कूल का मुख्य द्वार खुला था। गांव के कुछ बच्चे गेट पर लगे गुब्बारों को निहार रहे थे। अंदर प्रधानाचार्य चंद्रशेखर यादव परिसर का निरीक्षण कर शिक्षकों को दिशा निर्देश देते मिले। नमिता और रश्मि अपने क्लास रूम में स्वनिर्मित ज्ञानवर्धक पोस्टर और आकृतियों से बच्चों को पढ़ाने में जुटी थीं। शिक्षा की मुख्य धारा से करीब एक साल दूर रहे बच्चों को पांच घटे स्कूल में रोके रखना शिक्षकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहा।

कटका: जहांगीरगंज शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय असनारे में सभी शिक्षक गेट के बाहर बच्चों का स्वागत करने के लिए हाथ में फूल-माला लिए खड़े थे। महिला शिक्षिकाएं सभी बच्चों के माथे पर रोली-चंदन का टीका लगाती दिखीं। नौनिहालों को कोविड संक्रमण से बचाव के जानकारी भी दी जाती रही। साथ में डरने की जगह उत्साह के साथ स्कूल आने को प्रेरित किया।

chat bot
आपका साथी