जलकुंभी से पट रहा रेहना ताल संवारने का संकल्प
हजारों टन जलकुंभी के बोझ से पट रहे रेहना ताल को जीवनदान दिलाने के लिए ग्रामीणों ने कमर कस ली है।
अंबेडकरनगर: हजारों टन जलकुंभी के बोझ से पट रहे रेहना ताल को जीवनदान दिलाने के लिए यहां के ग्रामीण आगे आए हैं। प्रशासन की बेरुखी के बीच शुक्रवार को लोगों ने दैनिक जागरण के मेरा गांव-मेरा तालाब की मुहिम से प्रेरित होकर इसे संवारने का संकल्प लिया और जलकुंभी निकालने की शुरुआत की। बरसात में इसके किनारे-किनारे पौधारोपण कर प्रकृति को हरा-भरा बनाने का भी वादा किया।
टांडा ब्लाक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत आसोपुर की आबादी 15 हजार से अधिक है। इसमें आसोपुर सरैया, आसोपुर पोखरा, हारून रसीद बगिया आदि 15 मजरे हैं। तालाबों की बात करें तो तकरीबन 58 बीघा क्षेत्रफल से आच्छादित छोटे-बड़े 21 तालाब हैं। गांव की भूमि का पहला गाटा तालाब से शुरू होता है। ग्रामीण इलाकों के तालाबों को संवारने व संरक्षित करने को लेकर चलाए जा रहे जागरण के अभियान से प्रेरित होकर यहां के ग्रामीणों ने 'रेहना' ताल को जीवनदान दिलाने का संकल्प लिया है। इसे पूरा करने के लिए ग्राम पंचायत भी ग्रामीणों के साथ खड़ी हो गई है। महिला प्रधान इंद्रावती यादव के प्रतिनिधि जितेंद्र कुमार यादव ने इस नेक काम के लिए ग्रामीणों का सहयोग करने का वादा किया।
शुक्रवार को गांव के गयादीन सिंह, घनश्याम उर्फ मुन्ना, रामरूप, राजू, विजय पाल, रामनयन आदि रेहना ताल में उगी जलकुंभी की साफ-सफाई में जुट गए। बरसात में तालाब का पानी बाहर नहीं जाने देने के लिए इसके चारों तरफ खाईं बनाने, पौधारोपण करने की रूपरेखा तैयार की गई। ग्रामीणों ने बताया कि कभी इस तालाब के पानी से खेतों की सिचाई होती थी। तालाब में पानी लबालब होने से धरती का जलस्तर काफी ऊंचा रहता था और भीषण गर्मी के दिनों में भी ट्यूबवेल पानी नहीं छोड़ता था, लेकिन अब यह दिक्कत बराबर बनी रहती है। ऐसे में सभी को तालाबों की कीमत समझ में आ गई है, इसलिए इसका संरक्षण जरूरी है। एक बार तालाब के अपने पुराने स्वरूप में आ जाने के बाद थोड़ी बहुत देखभाल से भी काम चलता रहेगा। इससे आसपास के सभी लोगों को फायदा होगा।