ऑनलाइन शिक्षा : व्यवहारिक दिक्कतें दूर करने की जरूरत

देश में कोरोना की रफ्तार धीमी हुई है। लोगों में इस महामारी के प्रति भय भी कम हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 09:56 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 09:56 PM (IST)
ऑनलाइन शिक्षा : व्यवहारिक दिक्कतें दूर करने की जरूरत
ऑनलाइन शिक्षा : व्यवहारिक दिक्कतें दूर करने की जरूरत

देश में कोरोना की रफ्तार धीमी हुई है। लोगों में इस महामारी के प्रति भय भी कम हुआ है। इसे देखते हुए कुछ दिनों पूर्व से हाईस्कूल और इंटर तक के विद्यार्थियों की नियमित पढ़ाई के लिए स्कूल खोल दिए गए हैं। कुछ दिनों में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी क्लास शुरू होने वाले हैं। लेकिन छोटे बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल खोले जाने पर अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है। ऐसे में आठ तक के छात्रों को अभी वर्चुअल क्लास के जरिए ही पढ़ाया जा रहा है। अधिकांश बच्चे इसमें रुचि भी ले रहे हैं और अपना पाठ्यक्रम पूरा कर रहे हैं। लेकिन शिक्षकों के लिए यह एक उबाऊ व्यवस्था है। शैक्षिक वीडियो या आडियो क्लिप्स तैयार करने में कमजोर नेटवर्क काफी दिक्कतें पैदा करता है। यह वैकल्पिक व्यवस्था स्थाई रूप से नहीं चलाई जा सकती है। कई व्यवहारिक दिक्कतें हैं। नेटवर्क, बिजली और अभिभावकों की आर्थिक तंगी जैसी समस्याएं पढ़ाई में बाधक बन रही हैं। इसके बावजूद जो बच्चे तालमेल बैठा पा रहे हैं, उन्हें पढ़ाया जा रहा है।

-राम अनुज पाल, शिक्षक

आखिर कब तक जानलेवा वायरस की मार को झेलना पड़ेगा? स्कूल कब खुलेंगे? महीनों से भय के बीच जीवन चल रहा है। वर्चुअल क्लास के भरोसे पढ़ाई हो रही है। नेटवर्क साथ नहीं दे रहा है। यह व्यवस्था अब उबाऊ होती जा रही है। खेलकूद से दूरी बन गई है। साथियों और गुरुजनों को मिस कर रहा हूं। हमारे स्कूलों को भी खोला जाए। मैं भी विद्यालय जाना चाहता हूं। कोरोना प्रोटोकाल के पूर्ण पालन का संकल्प लेता हूं। साथ ही सहपाठियों को भी इस महामारी के बारे में जागरूक करूंगा।

-सक्षम त्रिपाठी, छात्र

कोविड-19 का फैलाव मानव जाति के लिए विनाशक बना हुआ है। दुनिया का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जो इस महामारी से अछूता हो। बच्चों की शिक्षा पर भी इसका कुप्रभाव पड़ा है। अपने देश में लॉकडाउन के बाद ऑनलाइन शिक्षा को प्रत्यक्ष शिक्षा के विकल्प के रूप में स्वीकारना पड़ा। महीनों बाद भी छोटे बच्चों को इसी व्यवस्था के तहत पठन-पाठन करना पड़ रहा है। अधिकतर छात्र-छात्राएं इस व्यवस्था का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि पूरी एहतियात के साथ स्कूल खोले जाएं।

-अभिमन्यु पांडेय, अभिभावक

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