1320 मेगावाट की परियोजनाओं पर भी कोयले का संकट, उत्पादन घटा

टांडा में बिजली संयंत्र थर्मल पावर प्रोजेक्ट को संचालित करने के लिए कोयले की कमी का असर उत्पादन पर पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 10:13 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 10:13 PM (IST)
1320 मेगावाट की परियोजनाओं पर भी कोयले का संकट, उत्पादन घटा
1320 मेगावाट की परियोजनाओं पर भी कोयले का संकट, उत्पादन घटा

अंबेडकरनगर : टांडा में बिजली संयंत्र थर्मल पावर प्रोजेक्ट को संचालित करने के लिए कोयले का संकट गहरा रहा है। पहले से स्थापित 110-110 मेगावाट की चार यूनिटों पर विद्युत उत्पादन पूरी तरह ठप है। जबकि हाल ही में स्थापित 660-660 मेगावाट की दो नई परियोजनाओं पर भी कोयले की कमी साफ दिख रही है। नई परियोजनाओं से मानक से काफी कम विद्युत उत्पादन किया जा रहा है।

1760 मेगावाट विद्युत उत्पादन वाली टांडा की महत्वपूर्ण बिजली संयंत्र टांडा थर्मल पावर प्रोजेक्ट की बीते मंगलवार की रात्रि से 110-110 मेगावाट की दो यूनिटों पर विद्युत उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया था। बाद में संचालित रहे 110-110 मेगावाट की दो अन्य यूनिटों पर भी विद्युत उत्पादन का काम ठप पड़ गया। महारत्न कंपनियों में शुमार एनटीपीसी परियोजना को विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कंपनी है। यहां कोयले की कमी से विद्युत उत्पादन में काफी व्यवधान बना है। इस परियोजना का विद्युत उत्पादन शनिवार को 922.93 मेगावाट रहा। जबकि स्टेज एक की पुरानी 440 मेगावाट की इकाई पूरी तरह बंद रही। वहीं 660-660 मेगावाट की दोनों नई परियोजनाओं में 1320 मेगावाट के स्थान पर 922 मेगावाट विद्युत उत्पादन चल रहा है। भारत सरकार के उपक्रम के रूप में संचालित एनटीपीसी परियोजना टांडा में प्रतिदिन चार रैक कोयले की खपत होती है। कोयले के संकट के पहले प्रतिदिन पांच रैक कोयला आता रहा। इसकी आपूर्ति में कमी से इस समय स्टेज एक की 110-110 मेगावाट की चारों इकाइयां पांच दिनों से बंद है। स्टेज दो की दो इकाई का कुल उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट है। गुरुवार को जहां पर 860.98 मेगावाट था। वह शनिवार को बढ़कर 922.93 मेगावाट पर पहुंचा है। हालांकि एनटीपीसी के जिम्मेदार अधिकारी उत्पन्न हुई समस्याओं पर कुछ बोलने के बजाय पल्ला झाड़ रहे हैं।

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