ढूंढ़ते रह जाएंगे विधायक निधि के करोड़ों रुपये का टेंडर

विधायकों की निधि से प्रत्येक वर्ष विकास की गंगा बहती है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 11:02 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 11:02 PM (IST)
ढूंढ़ते रह जाएंगे विधायक निधि के करोड़ों रुपये का टेंडर
ढूंढ़ते रह जाएंगे विधायक निधि के करोड़ों रुपये का टेंडर

अंबेडकरनगर: विधायकों की निधि से प्रत्येक वर्ष विकास की गंगा बहती है। करोड़ों रुपये का बजट लेकर काम कराने में नियम और कानून का पालन किए जाने का दावा किया जाता है। पारदर्शिता और निष्पक्षता के नाम पर कागजी कोरम पूरा करने का खेल चल रहा है। आमजन को लाभ पहुंचाने के लिए बजट खर्च करने में यहां सबकुछ खास रहता है। इसमें कार्यदायी संस्था के चयन से लेकर ठेकेदार तक खास लोगों को ही मौका मिलता है। टेंडर जारी होने से लेकर भुगतान भी बेहद खामोशी के बीच होता है। इनके टेंडर कहां निकाले गए और कार्यों की जांच आदि सब तलाशना ही नामुमकिन नजर आता है।

विधायक निधि से करोड़ों रुपये बजट हासिल करने वाली कार्यदायी संस्था यूपी स्माल इंडस्ट्रीज कारपोरेशन लिमिटेड (लघु उद्योग निगम) की कार्यशैली भी खास है। जनपद में इसका कोई कार्यालय स्थापित किए बगैर यह संस्था निर्माण के लिए करोड़ों का बजट हासिल कर चुकी है। पिछले चार से छह माह में ही यह संस्था सरकारी मशीनरी व विधायकों की चहेती बनने के साथ भरोसेमंद साबित हो गई। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को दरकिनार करते हुए आलापुर व अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में इसने विधायक निधि से बड़ा बजट हासिल कर लिया। इंटरलाकिग एवं सीसी सड़क बनाने में इसे दोनों विधानसभा क्षेत्र में करोड़ों रुपये का काम मिला है। प्रथम किस्त के तौर पर लाखों रुपये भुगतान भी किया गया है। यह बात दीगर है कि कार्यदायी संस्था का टेंडर देखने को नहीं मिलता है। हजारों की संख्या में ठेकेदार संस्था के जारी हुए टेंडर से अनभिज्ञ हैं। चर्चा है कि इसमें चुनिदा ठेकेदार पहले काम तय करते हैं। इसके बाद निधि से प्रस्ताव कराते हुए अमुक कार्यदायी संस्था को काम दिलाने में पैरोकारी करते हैं। तत्पश्चात काम हासिल करके निर्माण शुरू कराते हैं।

शासन भले ही पारदर्शी व्यवस्था के तहत टेंडर कराने और प्रतिस्पर्धा के बीच इसे संपन्न करने में लगा है, लेकिन यहां कार्यदायी संस्था ने इसे ठेंगा दिखा दिया है। टेंडर कब और कहां सार्वजनिक किया गया, इसके बारे में जिले के ठेकेदारों को भनक तक नहीं लग पाती। मामला सेटिग-गेटिग का होने के चलते कोई दखल भी नहीं करता। मुख्य विकास अधिकारी घनश्याम मीणा ने बताया कि इसकी जानकारी के लिए संबंधित कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को बुलाया गया है।

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