खतरे के लाल निशान की ओर बढ़ा घाघरा नदी का जलस्तर
घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के लाल निशान की ओर बढ़ने लगा है। बाढ़ की आशंका से स्थानीय तटवर्ती ग्रामीण परेशान हो रहे हैं।
अंबेडकरनगर: घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के लाल निशान की ओर बढ़ने लगा है। सोमवार तक इसे पार होने का आसार है। रविवार को सुबह आठ बजे तक घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 92.730 मीटर से 20 सेंटीमीटर नीचे 92.530 पर दर्ज किया गया। एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे की दर से बढ़ते हुए जलस्तर दोपहर 12 बजे तक 92.570 पर पहुंचा। अयोध्या बाढ़ खंड एसके प्रसाद ने बताया कि सोमवार सुबह जलस्तर के खतरे के लाल निशान को पार कर सकता है। तटीय इलाकों में इससे हलचल मच गई है। डीएम सैमुअल पॉल के साथ टांडा एसडीएम अभिषेक पाठक और आलापुर एसडीएम धीरेंद्र श्रीवास्तव ने बाढ़ चौकियों को सचेत करते हुए प्रभावित इलाकों का जायजा लिया। एडीएम डॉ. पंकज वर्मा ने बताया कि नाविकों और बचाव-राहत के इंतजाम पुख्ता कर लिए गए हैं।
तापमान में उतार-चढ़ाव : कई दिनों से जारी बारिश से राहत के अभी आसार नहीं दिख रहे हैं। हल्की से मध्यम बारिश का सिलसिला पिछले शुक्रवार दोपहर बाद से जारी है। बारिश से तालाब और झीलों में पानी दिखने लगा है। मौसम विभाग ने इस सप्ताह लगातार बारिश होने का संकेत दिया है। आगामी बुधवार को कुछ राहत मिल सकती है। रविवार को जिले का तापमान अधिकतम 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 24 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। तापमान में गिरावट होने के चलते मौसम सुहाना हुआ है, लेकिन उमस परेशान कर रही है।
कहीं खुशी कहीं गम : मानसूनी बारिश से किसानों में कहीं खुशी कहीं गम जैसे हालात हैं। धान की नर्सरी डालने एव तैयार नर्सरी रोपने के लिए बारिश से किसानों खुश हैं, तो के धान की नर्सरी डाल चुके किसान बारिश से इसे काफी नुकसान होने खतरा होना बता रहे हैं। मेंथा, दलहन और सब्जियों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। इससे लागत निकालना कठिन हो गया है। सब्जियों के दाम बढ़ने के आसार हैं। खेत लबालब हुए हैं।
संक्रामक रोग बढ़े : बारिश और उमस के बीच मौसम के मिजाज में उतार-चढ़ाव बना है। सर्दी, जुकाम व बुखार के अलावा त्वचा संबंधी रोगों से लोग परेशान हैं। अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। कोरोना काल में इन रोगों से लोगों में भय बना है।
जलभराव बनी मुसीबत : प्रमुख एवं संपर्क मार्गों समेत गांव की गलियों, कालोनियों में जलभराव हो गया है। कीचड़ की समस्या भी पांव पसारे है। चोक नाले और नालियां भी बारिश का पानी समेटने में नाकाम हैं। इनका उफनाया दूषित पानी रास्तों पर फैला है, इससे लोगों का घरों से निकलना मुश्किल है।