घर-घर बंटती रही 'मौत', सोती रही पुलिस
चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस की पहरेदारी की खुली कलई। आबकारी विभाग की निगरानी पर खड़ा हुआ गंभीर सवाल।
रामानुज मिश्र, अंबेडकरनगर
कोरोना महामारी की पाबंदियों के बीच चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस और पंचायत चुनाव के मद्देनजर अवैध शराब की बिक्री रोकने को लेकर चौकन्ना आबकारी महकमे की कलई 16 लोगों की मौत के बाद खुलकर सामने आ गई है। जलालपुर तहसील के गांवों में शराब के अवैध कारोबार की शिकायतें होती रहीं। प्रशासन एवं पुलिस के साथ आबकारी महकमा तब से अब तक कान में तेल डाले बैठा रहा। जहरीली शराब ने जब गांवों में मौत का खेल खेलना शुरू किया तो अधिकारियों की आंख खुली और अब इनके पैर में पंख लग गए हैं।
आजमगढ़ की सीमा से सटी जलालपुर तहसील के बंदीपुर, मखदूम के मजरे सिधौरा और कुसुमखोर में अवैध उप दुकानों से अवैध शराब की खुलेआम बिक्री होती रही है। शिकायतों पर पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारी छापेमारी करते हैं। यहां तक कि शिकायतकर्ता व लाइसेंसी दुकानदार भी कुछ लोगों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर चुके हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार सख्त कार्रवाई के बजाए उन्हें छोड़ते रहे। ऐसे में यहां धड़ल्ले से अवैध शराब का कारोबार चलता रहा। गत रविवार से मंगलवार के बीच शराब पीने से हुई मौतें इस लापरवाही की गवाह हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सोनू चौबे के अलावा तमाम लोग साइकिल और बाइक आदि से देशी शराब आजमगढ़ से लाकर यहां घर-घर बेचते रहे हैं। इनके बारे में पुलिस एवं आबकारी निरीक्षक को बताया गया था। इसके बाद भी पुलिस व आबकारी विभाग सोता रहा। कोरोना कर्फ्यू के दौरान शराब की दुकानें बंद होने के बावजूद शादी में शराब की खेप पहुंचना निगरानी पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
हकीकत बनी गवाह :
मखदूमपुर गांव में पांच, जलालपुर के पेठिया में दो, मालीपुर थानाक्षेत्र में चार, कटका के महंगीपुर में एक, जैतपुर थाने के चौदहप्रास और सोहगूपुर में एक-एक, मालीपुर थाने के कुलहियापट्टी और करमिसिरपुर में एक-एक मौत होने की जानकारी मिली है।